Class 9 Hindi Chapter 12 | मुरझाया फूल Question Answer | SEBA

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आज, इस लेख में मैं आपके 9 वीं कक्षा के “मुरझाया फूल” के दीर्घ और लघु प्रश्नों पर चर्चा करूँगा हम लगभग सभी लंबे और छोटे प्रश्नों के समाधान प्रदान करते हैं।

हमारा लक्ष्य आपकी आवश्यकताओं को पूरा करना है। हम यहां मुफ्त में नोट्स प्रदान करते हैं। हम आपको आपकी आगामी परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं देते हैं। यदि आपको कोई संदेह है, तो कृपया हमसे संपर्क करें।

Class 9 Hindi Chapter 12 Question Answer

अभ्यासमाला

(अ) पूर्ण वाक्य में उत्तर लिखो :

1. कवयित्री महादेवी वर्मा की तुलना किसके साथ की जाती है ? [HSS-2015]

उत्तर : मीराँबाई के साथ।

2. कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म कहाँ हुआ था ?

उत्तर : फर्रुखाबाद में |

3. महादेवी वर्मा की माता का नाम क्या था ?

उत्तर : हेमरानी वमी |

4. ‘हास्य करता था,……..अंक में तुझको पवन ।’- रिक्त स्थान भरो।

उत्तर : खिलता |

5. ‘यत्न माली का रहा……….से भरता तुझे।’ – रिक्त स्थान भरो।

उत्तर : आनंद

6. करतार ने धरती पर सबको कैसा बनाया है ?

उत्तर : सुंदर (जूন্দৰকৈ)।

(आ) ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में उत्तर दो :

1. छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा रहस्यवादी कवयित्री के रूप में भी प्रसिद्ध हैं।

उत्तर : हाँ (र)।

2. महादेवी वर्मा के पिता-माता उदार विचारवाले नही थे।

उत्तर : नही (नश्य)।

3. महादेवी वर्मा ने जीवन भर शिक्षा और साहित्य की साधना की।

उत्तर : हाँ (र)।

4. वायु पंखा झल कर फूल को सुख पहुँचाती रहती है ।

उत्तर : हाँ (रा)।

5. मुरझाए फूल की दशा पर संसार को दुख नहीं होता।

उत्तर : हाँ (হ)।

(इ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

1. महादेवी वर्मा की कविताओं में किनके प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है ?

उत्तर : महादेवी वर्मा की कविताओं में सर्वव्यापी परम सत्ता के प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है।

2. महादेवी वर्मा का विवाह कब हुआ था ?

उत्तर : महादेवी वर्मा का विवाह छठी कक्षा में ही हुआ था ।

3. महादेवी वर्मा ने किस रूप में अपने कर्म-जीवन का श्रीगणेश किया था ?

उत्तर : महादेवी वर्मा ने प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या के रुप में अपने कर्म जीवन का श्री गणेश किया था।

4. फूल कौन-सा कार्य करते हुए भी हरषाता रहता है ?

उत्तर : फूल अपना सर्वस्व दान करके भी हशाता रहता है।

5. भ्रमर फूल पर क्यों मँडराने लगते हैं ? [HSS-2014, 2015]

उत्तर : लुभावनीय मधु के लालच से भ्रमर फूल पर मँडराने लगते है।

(ई) अति संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में)

1. किन गुणों के कारण महादेवी वर्मा की काव्य-रचनाएँ हिन्दी-पाठकों को विशेष प्रिय रही हैं ?

उत्तर : महादेवी वर्मा ने अपने काव्य को आराध्य की विरहानुभूति और व्यक्तिगत दुःख वेदना को अभिव्यक्ति में सीमित न रखकर उसे लोक कल्याणकारी करुणा भाव से जोड़ दिया है। इन्हीं गुणों के कारण उनकी काव्य रचनाएँ हिन्दी पाठकों को विशेष प्रिय रही है।

2. महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य-रचनाएँ क्या-क्या हैं ? किस काव्य-संकलन पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था ?

उत्तर : महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं – ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’ और ‘यामा’। ‘यामा’ काव्य संकलन पर उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

3. फूल किस स्थिति में धारा पर पड़ा हुआ है ?

उत्तर : सुखे, मुरझाते हुए गंध कोमलताहीन होकर फूल धारा पर पड़ा हुआ होता है।

4. खिले फूल और मुरझाए फूल के साथ पवन के व्यवहार में कौन-सा अंतर देखने को मिलता है ?

उत्तर : खिले फूल को पवन अपने गोद में लेकर हसाता है, खिलाता है, लेकिन उस पवन ने ही एकदिन मुरझाए हुएँ फूल को अपनी तीव्र झोंके से धरती पर गिरा देता है।

5. खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भौरे के व्यवहार क्या भिन्न-भिन्न होते हैं ?

उत्तर : हाँ, खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भौर के व्यवहार भिन्न भिन्न होते हैं। खिले फूल को देखकर भौरे उसके सारो ओर मँडराते है लेकिन मुरझाए हुए फूल को भौरे देखता भी नही।

(उ) संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में):

1. महादेवी वर्मा की साहित्यिक देन का उल्लेख करो।

उत्तर : महादेवी वर्मा ने अपनी जीवन भर साहित्य की साधना की। उन्होंने गद्य और पद्य दोनों शैलियों में साहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं -‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’ और ‘यामा’। उनकी गद्य रचनाओं में ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘श्रृंखला की कड़िया’ और ‘पथ के साथी’ विशेष रुप से उल्लेखनीय हैं। ‘हिमालय’ उनकी द्वारा सम्पादित ग्रंथ है।

2. खिले फूल के प्रति किस प्रकार सब आकर्षित होते हैं, पठित कविता के आधार पर वर्णन करो। [HSS-2015]

उत्तर : खिले फूल के प्रति प्रकृति और मनुष्य सभी आकर्षित होते है। पवन खिले फूलों को अपने गीद में लेकर हसाता है। मधु के लालच से भौंरा फूलों के सारो ओर मँडराने लगते है। चन्द्रिमा की स्निग्ध किरणें फूलों को सदा हँसाने की कोशिश में लगी रहती है। और ओस मुक्ता जाल से हमेशा उसे श्रृंगार कराती है। वायु अपनी शीतल पंखा फेरकर फूलों को निद्रा विवश करती है। माली यत्न से उसका देखभाल कर के उसे आनन्द से भर देता था।

(उ) संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में):

1. महादेवी वर्मा की साहित्यिक देन का उल्लेख करो।

उत्तर : महादेवी वर्मा ने अपनी जीवन भर साहित्य की साधना की। उन्होंने गद्य और पद्य दोनों शैलियों में साहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं -‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’ और ‘यामा’ ।

उनकी गद्य रचनाओं में ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘श्रृंखला की कड़िया’ और ‘पथ के साथी’ विशेष रुप से उल्लेखनीय हैं। ‘हिमालय’ उनकी द्वारा सम्पादित ग्रंथ है।

2. खिले फूल के प्रति किस प्रकार सब आकर्षित होते हैं, पठित कविता के आधार पर वर्णन करो । [HSS-2015]

उत्तर : खिले फूल के प्रति प्रकृति और मनुष्य सभी आकर्षित होते है। पवन खिले फूलों को अपने गीद में लेकर हसाता है। मधु के लालच से भौंरा फूलों के सारो ओर मँडराने लगते है। चन्द्रिमा की स्निग्ध किरणें फूलों को सदा हँसाने की कोशिश में लगी रहती है। और ओस मुक्ता जाल से हमेशा उसे श्रृंगार कराती है। वायु अपनी शीतल पंखा फेरकर फूलों को निद्रा विवश करती है। माली यन उसका देखभाल कर के उसे आनन्द से भर देता था।

3. पठित कविता के आधार पर मुरझाए फूल के साथ किए जानेवाले बर्ताव का उल्लेख करो।

उत्तर : मुरझाए फूलों की प्रति किसीका आकर्षण नही रहता है। मुख-मंजु मुरझाया हुआ फूल शुष्क विखरती रह कर धरती की गोद में आ गिरती है, जिसकी तरफ कोई देखता भी नही। भ्रमर उसे देखकर मँडराने नही आते और वृक्ष भी उसे खोकर आसु नही बरसाते। जो पवन फूलों को अपने गोद में लेकर हसाता था, उस पवन ने तीव्र झोंके से उसे धरती पर गिरा देता है। मधु और सौरभ दानकरने वाले फूलों की यह दशा देखकर कोई दुःख नही करता।

4. पठित कविता के आधार पर दानी सुमन की भूमिका पर प्रकाश डालो।

उत्तर : सुमन कली से लेकर पुर्णता प्राप्त करने तक सबको खुशी से भर देता है। खिले हुए फूलों को देखकर सबका दिल बहल जाता है। वृक्षों को अपने पूर्णता प्राप्ति का एहसास दिलाते है। मधु और सौरभ दान करके फूल सबका हृदय पाता है। सबको सबकुछ दान करके भी फूल कभी व्यथित नही होता है। फिरसे सवको हरषाता रहता है। कवि के अनुसार इस संसार में विधाता ने सबको स्वार्थमय बना दिया सिवाय दानी सुमन को छोड़कर।

(ऊ) सम्यक् उत्तर दो ( लगभग 100 शब्दों में ) :

1. कवयित्री महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय प्रस्तुत करो।

उत्तर : महादेवी वर्मा ने अपनी जीवन भर साहित्य की साधना की। उन्होंने गद्य और पद्य दोनों शौलियों में साहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं- ‘नीहार’, ‘रहिम’, ‘नीरजा’, ‘दीपशिखा’, ‘सांध्यगीत’, ‘यामा’, सन्धिनो। पद्मश्री’ उपाधि से सन्मानित महादेवी वर्मा की ‘यामा’ काव्य-संकलन पर ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। ‘नीरजा’ कृति पर उनकी भारत-भारती पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

उनकी गद्य रचनाओं में ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, श्रृंखला की कड़ियाँ’ और ‘पथ के साथी’ विशेष रुप से उल्लेखनीय हैं। इन्होंने चाँद का सम्पादन बड़ी सफलता के साथ किया ।

‘हिमालय’ उनकी द्वारा सम्पादित ग्रन्थ । महादेवी वर्मा मूलत: छायावाद और रहस्यवाद को कवयित्री के रुप में मानी जाती है। रहस्यवाद की तन्मयता ने उसको आधुनिक काव्य जगत की ‘मीरा’ बना दिया है।

2. ‘मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में फूल के बारे में क्या-क्या कहा गया है अथवा, ‘मुरझाया फूल’ कविता का सारांश लिखो।

उत्तर : ‘मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में कवयित्री महादेवी वर्मा ने कली खिलकर फूल बनने से लेकर मुरझाते हुए भूमि पर गिरने तक का आकर्षक वर्णन किया है। फूल स्वर्गीय वस्तु है। कली और खिले फूल के प्रति सब आकर्षित होते हैं। फूल के कली को पवन गोद में लेकर हसाता है। खिली हुई फूल में भौंरा मधु के लालच में मँडराने लगते है।

चन्द्रिमा के स्निग्ध किरणें उसे हसाने की कोशिश में लगी रहती है और ओस मुक्ता जाल बिछाकर उसकी श्रृंगार करती थी। माली उसकी देखभाल करके उसे आनंद से भर देता है। लेकिन जब खिला हुआ फूल मुरझाकर धरती पर आ गिरता है, तब उसे कोई देखता तक नहीं है।

भ्रमर उसे देखकर मँडराने नही आते और वृक्ष भी उसे खोकर आसु नहीं बरसाते। पवन तीव्र झोंके से उसे धरती पर गिरा देता है। लेकिन दानी फूल इससे बेखबर रहकर अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता।

3. ‘मुरझाया फूल’ कविता के माध्यम से कवयित्री ने मानव जीवन के संदर्भ में क्या संदेश दिया है ?

उत्तर : कवयित्री महादेवी वर्मा एक रहस्यबादी कवि है। ‘मुरझाया फूल कविता के माध्यम से कवयित्री ने मानव जीवन की ओर सबका ध्यान आकर्षण करना चाहती थी। यहा वह रहस्यबाद का अवतारना करके ‘मुरझाया फूल’ के साथ मानव जीवन का तुलना किया। कलि और खिले हुए फूल के प्रति सब आर्कर्षिय होते है, लेकिन मुरझा जाने पर उसकी तरफ कोई आँख उठाकर देखता तक नही है।

ठिक उसी तरह मनुष्य भी अपने नत्रे और शौशव काल में सबका आदर हासिल करता है। परिवारवालों से लेकर समाज तक सब उसकी देखभाल में जुटे रहते हैं। युवा काल से लेकर अपने पैरे पर खरे होकर कमाई करने तक सव उसका ख्याल रखता है लेकिन जब बूढ़ापा आ जाता तब सभी मनुष्य उस पर भारी हो जाता है। सबका आदर से वञ्चित होकर एक कोने में पड़ा रहता है मुरझाएँ फूल की तरह।

4. पठित कविता के आधारपर फुल के जीवन और मानव-जीवन की तुलना करो।

उत्तर : पठित कविता ‘मुरझाया फूल’ के जरिए कवयित्री महादेवी वर्मा मानव के जीवन और फूल के जीवन को तुलनात्मक चिंता की रेखा अंकित किया है। कवि फूलों की जीवन के जरिए मानव जीवन की ओर सबका ध्यान खोजना चाहती है कलि और खिले हुए फूल के प्रति प्रकृति से लेकर मनुष्य तक सभी आकर्षित होते है।

लेकिन मुरझा जाने पर कोई उसको तरफ आँख उठाकर भी नही देखता। और एक दिन हवा के तीव्र झोंके ने उसे धरती पर गिरा देता है। लाचार फूल अपना दू:ख खुद समेट करवटी पर पड़ी रहता है। ठिक उसी तरह मनुष्य भी अपने नन्हे और शैशव काल आदर हासिल करता है।

परिवारवालों से लेकर समाज तक सभी उसकी देखभाल में जूटे रहते है। युवा काल से लेकर अपने पैर पर होकर कमाई करने तक में सवका खड़े सब उसका ख्याल रखते है लेकिन जब बूढ़ापा आ जाता है तब सभी मनुष्य उस पर भारी हो जाता है। और सबका आदर से बंचित होकर वह भी एक कोने में पड़ा रहता है मुरझाँए फूल की तरह।

(ई) प्रसंग सहित व्याख्या करो (लगभग 100 शब्दों में ) :

1. ‘स्निग्ध किरणें चंद्र की श्रृंगारती थी सर्वदा।

उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक ‘आलोक १’ के अंतर्गत रहस्यबादी कवि महादेवी वर्मा द्वारा रचित रहस्यधर्मी कविता ‘मुरझाया फूल’ से ली गई है।

सन्दर्भ : इस पंक्तियों के जरिए कवयित्री जी ने सुख के दिन में मुरझाया फूल प्रति प्रकृति के ओस और चन्द्रिमा का व्यवहार के बारे में बताया गया है।

व्याख्या : फूल एक स्वर्गीय वस्तु है। कली और खिले फूल के प्रति प्रकृति से लेकर मनुष्य सभी आकर्षित होते हैं। प्रकृति के चन्द्रिमा अपने स्निग्ध किरणों से खिले फूलों को हमेशा हसाती थी। चन्द्रिमा की किरणों से खिले फूल का सोन्द्रय और भी बढ़ जाता है। उस तरह ओस अपनी मोतीयों जैसे जल कणा से जाल बिछाकर फूलों का हमेशा श्रृंगार करती थी ताकि सुबह होकर धूप गिरने पर वह और भी मनमोहक हो जाए।

उपसंहारः इस तरह प्रकृति भी खिले फूल को लेकर व्यस्त हो जाते है।

2. ‘कर रहा अठखेलियाँ या कभी क्या ध्यान में।”

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तिया हमारे पाठ्य पुस्तक ‘आलोक १’ के अंतर्गत रहस्यबादी कवि महादेवी वर्मा द्वारा रचित रहस्यधर्मी कविता ‘मुहझाया फूल’ से ली गई है।

सन्दर्भ : इस पंक्तियों के जरिए कवयित्री जी ने फूल के सुख के दिनोंके साथ दुःख के दिनों का तुलना की है।

व्याख्या : फूल एक स्वर्गीय वस्तु है। कली और खिले फूल के प्रति प्रकृति से लेकर मनुष्य सभी आकर्षित होते है। अपने सुःख के दिन में फूल उद्यान में स्वाभाविक मतवाली चाल से सबका दिल जीत लेता है और उसकी ओर सबका ध्यान खीचता है। अपनी इतराती पंखों से देखने वालो को दिल में चहल पहल मचा देता है। लेकिन तब वह ये नही खीचता की उद्यान में दिलको भाने वाली फूल एक दिन सूखे मुरझाते हुए धरती पर आ गिरते है ।

उपसंहारः अंत का ये व्यर्थता दिनों के लिए वह कभी भी ध्यान नहीं देता।

3 ‘मत व्यथित हो पुष्प यहाँ करतार ने।’ [H.S.S-2014]

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तिया हमारे पाठ्य पुस्तक ‘आलोक’ के अंतर्गत रहस्य बादी कवि महादेवी वर्मा द्वारा रचित रहस्यधर्मी कविता ‘मुरझाया फूल’ से ली गई है।

सन्दर्भ : इस पंक्तियों के जरिए कवि ने पुष्प को दुःख करने से मना करके संसार के स्वार्थपरता के बारे में बताया है।

व्याख्या : कवि ने मुरझाए फूल के दु:ख में दुखी होकर यह कहा कि विधाता ने इस संसार में सबको स्वार्थपर बनाया है। यहा किसको किसीके कारण सोचने का समय नहीं है। सब अपने अपने काम में व्यस्त रहकर समय बीताता है। इस संसार ने किसीको भी सुखी नही देख पाता खिले फूल के प्रति सबका आकर्षण एक दिन मुरझा जाने के बाद खत्म हो जाता है। यह संसार की स्वार्थपरता है, परंतु इससे वेखबर रहकर फूल अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता जाता है। लेकिन जब दुःख का दिन आता है तब आसु पोछाने के लिए कोई भी नहीं रहता। यह विधि का नियम है।

उपसंहारः इसलिए इस नियम से ही चलकर फूल खुद का दुःख खुद समेट लेना चाहिए।

4. ‘जब न तेरी ही दशा पर…….. हमसे मनुज निस्सार को ?’

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तिया हमारे पाठ्य पुस्तक ‘आलोक १ ‘ के अंतर्गत रहस्यबादी कवि महादेवी वर्मा द्वारा रचित रहस्यबादी कविता ‘मुरझाया फूल’ से ली गई है।

संन्दर्भ : इस पंक्तियों के जरिए कवि ने फूलों के जीवन के साथ मनुष्य जीवन को तुलना करते हुए कुछ महत्वपूर्ण संदेश दिया है।

व्याख्या : फुल एक स्वर्गीय वस्तु है। वह किसी से कुछ लेता नही है बल्कि संसार की स्वार्थपरता से सम्पूर्ण बेखबर रहकर, अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता जाता है। लेकिन मधु और सौगन्ध दान कर के सबका दिल जीतने वाले इस फुल की अंतिम दशा पर कोई आशु नही बहाता । तो ठिक उसी तरह मनुष्य जीवन भी एक दिन निसार ही जाएगा और उस दिन मनुष्य के पास दुःखबाटने के लिए कोई नही आएगा।

उपसंहारः इस परिस्थिति में कवयित्री ने फूल की जीवन को मनुष्य की जीवन के साथ तुलना किया है, जिसकी अंतिम दशा में कोई दुःख बाटने के लिए नही आता है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान :

1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग करो :

श्रीगणेश करना, आखे का तारा, नौ दो ग्यारह होना, हवा से बाते करना, अंधे की लकड़ी, लकीर का फकीर होना

उत्तर :

श्रीगणेश करना : (आरभं करना) – रवन ने आज अपने दूकान का श्रीगणेश किया।

आखें का तारा : (बहुत प्यारा) – बालक कृष्ण माँ यशोदा का आखें का तारा था।

नौ दो ग्यारह होना : (भाग जाना) – पुलिस के आते ही लुटेरे नौ दो ग्यारह हो गये

हवा से बाते करना : (बहुत तेज दौड़ना)- महाराणा का इशारा पाते ही उनका घोड़ा चेतक हवा से बातें करने लगा।

अंघे की लकड़ी : (एकमात्र सहारा होना) – माता-पिता के लिए श्रवण कुमार ही अंधे की लकड़ी था।

लकीर का फकीर होना : (पुराने रीति खिजों पर चलने वाला) – कोई नया काम करो, लकीर का फकीर मत बनो। [H.S.S- 2014]

2. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को गद्य रुप में प्रस्तुत करो :

क) खिल गया जब पूर्ण तु,

मंजूल सुकोमल फुल बन ।

लुब्ध मधु के हेतु मँडराने

लगे, उड़ते भ्रमर ।।

उत्तरः जब तुम पूर्ण रुप से खिल गया सुन्दर सुकोमल फूल बनकर, लुभावनीय मधु के लालच से भौरा तुम पर मँडराने लगते है।

(ख) जिस पवन ने अंक में

ले प्यार या तुझको किया ।

तीव्र झोंके से सुला

उसने तुझे भू पर दिया ।।

उत्तरः जिस हवा ने तुम्हें अपने गोद में लेकर प्यार करते थे, उस हवा ने ही तीव्र झोंके से धरती पर गिरा देती है।

3. लिंग निर्धारण करो :

कली, शैशव, फूल, किरण, वायु, माली, कोमलता, सौरभ, दशा, माली, फूल, सौरभ, शैशव, कीरण।

उत्तर :

पुलिंग: शैशव, फूल, माली, सौरभ, दशा, माली

स्त्रीलिंग: वायु, कोमलता, कली, दशा

4. वचन परिवर्तन करो :

भौरा, किरणें अठखेलिया, झांके चिड़िया, रेखाएँ, बात, कली।

उत्तर:

एकवचनबहुवचन
भौंराभौर
अठखेलियाअठखेलियाँ
किरणकिरणें
चिड़ियाचिडियाँ
बातबातें
रेखारेखाएँ

5. लिंग परिवर्तन करो :

कवयित्री, प्रियतम, पिता, पुरुष, प्राचार्या, माली, देव, मोरनी

उत्तर:

पुलिगंस्त्रीलिंग
कविकवयित्री
पितामाता
मालीमालिन
मोरमोरनी
देवदेवी
पुरुषस्त्री
प्रियतमप्रियतमा

6. कार शब्दांश के पूर्व आ, वि, उप, अप और प्रति उपसर्ग जोड़ कर शब्द बनाओं तथा उन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो। [HSS-2014]

उत्तरः

आ + कार = आकार – पानी का कुछ आकार नही होता है।

वि + कार = विकार – शरीर में कई विकार तत्व होते हैं।

प्र + कार = प्रकार- कारक आठ प्रकार के होते है

उप + का = उपकार – किसी का उपकार करना पुण्य का काम होता है।

अप + कार = अपकार – किसी का अपकार करना बुरी बात है।

प्रति +कार = प्रतिकार – पंडितजी ने रमेश की ग्रहदोष का प्रतिकार निकाला।

निष्कर्ष:

हमारा मानना ​​है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को विषयों की बेहतर समझ विकसित करने और उनकी परीक्षा के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेंगे।

हमें विश्वास है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने और उनके अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करेंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो और मददगार लगा हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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