Class 9 Hindi Chapter 11 | नर हो, न निराश करो मन को Question Answer | SEBA

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आज, इस लेख में मैं आपके 9 वीं कक्षा के नर हो, न निराश करो मन को के दीर्घ और लघु प्रश्नों पर चर्चा करूँगा हम लगभग सभी लंबे और छोटे प्रश्नों के समाधान प्रदान करते हैं।

हमारा लक्ष्य आपकी आवश्यकताओं को पूरा करना है। हम यहां मुफ्त में नोट्स प्रदान करते हैं। हम आपको आपकी आगामी परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं देते हैं। यदि आपको कोई संदेह है, तो कृपया हमसे संपर्क करें।

Class 9 Hindi Chapter 11 Question Answer

अभ्यासमाला

(अ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

1. कवि ने हमें क्या प्रेरणा दी है ?

उत्तर : कर्म की।

2. कवि के अनुसार मनुष्य को अमरत्व प्राप्त कौसा हो सकता है ?

उत्तर : अपने नाम से।

3. कवि के अनुसार ‘न निराश करो मन को’ का आशय क्या है ?

उत्तर : मनुष्य अपने प्रयत्न से असफलता को भी सफलता में बदल सकता है।

4. हिन्दी साहित्य जगत में राष्ट्र कवि किससें माना जाता है ?

उत्तरः मैथिलीशरण गुप्त ।

(आ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो (लगभग 50 शब्दों में ) :

1. तन को उपयुक्त बनाए रखने के क्या उपाय है ? [H.S.S-2014]

उत्तर : तन को उपयुक्त करने के लिए हमें कुछ काम करना चाहिए जिससे जगवासी का कुछ भलाई हो। दुनिया में आकर अपना जीवन सार्थक करने के लिए कुछ अव्यर्थ वाण चलाना चाहिए जिसमें आत्म गौरव का अभिमान हो । मन को निराश किए बिना ही आगे बढ़ना चाहिए।

2. कवि के अनुसार जग को निरा सपना क्यों नही समझना चाहिए? [HSS-2015]

उत्तर : कवि के अनुसार जग को निरा सपना नही समझना चाहिए क्योंकि यहा कुछ किए विना कुछ भी हासिल नही होता। जग में हमलोगों के करने के लिए बहत सारे काम है जिसे हमलोगों को व्यर्थ हो कर भी करने का प्रयत्न करना चाहिए। समय रहने से ही साधना के जरिए अपना पथ प्रसस्त कर लेना चाहिए।

3. अमरत्व-विधान से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर : अमरत्व विधान से कवि का यह तात्पर्य है कि हमलोगों की अपने कामों को शाधना के जरिए अमर करना चाहिए ताकि आगे चलकर जगवासी हमें याद रखे। काम तो सब लोग करते है लेकिन अपने कामों से अमर कुछ लोग ही हो पाते है। इसलिए लेखक सब मनुष्य को अपने कामों में अमरत्व विधान करने का नेक सुझाव दिया है।

4. अपने गौरव का किस प्रकार ध्यान रखना चाहिए ? [HSS-2015]

उत्तर : मनुष्य की अपने महत्व एवं व्यक्तित्व की पहचानना चाहिए। हम भी कुछ है’ हम भी कुछ कर सकते है जो खास हैं। हमे अपने अभिमान को बरकारार रखते हुए जग के हित के लिए कुछ काम करना चाहिए, जिसे जगवासी हमें याद रखे। कुछ भी होने पर भी अपना मान हमेशा टिकाये रखना चाहिए। मन को निराशा न करके साधना के जरिए आत्म गौरव का उँची उड़ान भरना चाहिए।

5. कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखो।

उत्तर : कविता का मूल प्रतिपाद्य ये है कि इंसान की कर्मठ होना चाहिए। निराश होकर बैठना मनुष्य के लिए लज्जाजनक है। मनुष्य को अनुकूल अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। मनुष्य की चाहिए कि वह अपने महत्व एवं व्यक्तित्व की पहचाने, तभी उसे आत्म गौरव और अमरत्व प्राप्त हो सकता है निजस्व आत्म गौरव को किसी भी परिस्थिति में घटने देना नही चाहिए और कुछ खास काम करके जगवासी को अपने पहचान देना चाहिए। व्यर्थता में भी निराश न होकर अविरत साधना से सफलता को ओर बढ़ना चाहिए।

(इ) सप्रसंग व्याख्या करो ( लगभग 100 शब्दों में ) :

1. संभलो कि सु-योग न जाए चला,

कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला ?

उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे हिन्दी पाठ्य पुस्तक “आलोक भाग- २” के अंतर्गत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्तजी द्वारा लिखी गई प्रेरणादायक कविता “नर हो, न निराश करो मन को” से लिखा गया है।

सन्दर्भ : इन पंक्तियों में कवि मनुष्य की अपने सुअवसरों का सही इस्तेमाल करने के लिए महत्वपूर्ण हितोपदेश दिया है।

व्याख्या : कवि के अनुसार मनुष्य की अनुकूल अवसर हाथ से जाने देना नही चाहिए। समय रहने से ही उस अवसरों का सदप्रयोग करना चाहिए क्योंकि बार बार ये अवसर हमलोगों कि हाथ में नही आते है। सही तरह से कोशिस करने से कभी भी व्यर्थ नही होता। निराश न बैठकर अपने कामों को सही तरीके से निभाना चाहिए। समय किसी के लिए भी नही रुकता है।

उपसंहारः इसलिए समय रहने से ही सपनों के दुनिया से उतरकर मनुष्यों के अपने हकीकत की दुनिया में सठिक मार्ग का खोज करना चाहिए नही तो वाद में हाथ मलना पड़ता है।

2. जब प्राप्त तुम्हें सब तत्व यहाँ,

फिर जा सकता वह सत्व कहाँ ?

उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे हिन्दी पाठ्य पुस्तक ‘आलोक भाग- २’ के अंतर्गत ‘राष्ट्रकवि मैठिलीशरण गुप्त’ द्वारा लिखी गई प्रेरणादायक कविता ‘नर हो, न निराश करो मन को’ से ली गई है।

सन्दर्भ : इन पंक्तियों में कवि मनुष्यों को अपने महत्व तथा व्यक्तित्व को पहँचानकर आगे बढ़ने का उपदेश दिया है।

व्याख्या : मनुष्य जीवन कर्मों का समष्टि है। लेकिन उसमें कुछ लोग ही अपने कर्मों से अमर बन जाता है। यहा कुछ लोग ही अपने कर्मों का सही मायने देकर जग में अपना पहचान बना सकते है। कवि कहते है कि अपने का जग में सही पहचान बनाने के लिए सब मनुष्य में आत्म विश्वास तथा आत्म गौरव होना चाहिए। जब हमलोगों यहा अपना अस्तित्व बना चुका है तो उस अस्तित्व को सही तरीके से सवाँरना चाहिए। जग्र का सारे तत्व हासिल करके अपने को उसमे बेकार छोड़ देना मूर्खता है।

उपसंहारः इसलिए कवि मनुष्यों को अपने व्यक्तित्व की पहचानकर, उसे आत्म गौरव और अमरत्व प्रदान करने का अनुप्रेरणा दिया है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान:

1. कविता के आधार पर इन शब्दों के तुकांत शब्द लिखो :

उत्तर :

शब्दतुकांत शब्द
अर्थ- व्यर्थ
तन- मन
चला- भला
सपना- अपना
तत्व- सत्व
ज्ञान- ध्यान
मान-गान

2. इन शब्दों में से उपसर्ग अलग करो :

व्यर्थ, उपयुक्त, सु-योग, सदुपाय, प्रशस्त, अवलम्बन, निराश।

उत्तर :

शब्द उपसर्
व्यर्थ- ‘वि’
सु-योग-‘सु’
प्रशस्त-‘प्र’
निराश- ‘निः’
उपयुक्त-‘उप’
सदुपाय-‘सत्
अवलम्बन-अव’

निष्कर्ष:

हमारा मानना ​​है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को विषयों की बेहतर समझ विकसित करने और उनकी परीक्षा के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेंगे।

हमें विश्वास है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने और उनके अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करेंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो और मददगार लगा हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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