Class 10 Hindi Chapter 6 | पद- त्रय  Question Answer | SEBA

Class 10 Hindi Chapter 6 | पद- त्रय (मीराँबाइ)  Question Answer | SEBA: हमारी वेब साईट में स्वागत है! हम आपको आपकी शैक्षणिक यात्रा के लिए ग्रेड 10 के नोट्स प्रदान करते हुए प्रसन्न हैं।

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Class 10 Hindi Chapter 6 Question Answer

अभ्यास-माला

बोध एवं विचार

(क) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो

(१) ‘ताहि के रंग में भीजै ‘ यहँ ‘ताहि’ शब्द का अर्थ क्या है ?

उत्तर : ‘ताहि’ शब्द का अर्थ गिरिधर (गिरधर नागर) ।

(२) हां या नहीं में उत्तर दो-

(क) हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्य धारा में मीराँबाई का स्थान सर्वोपरि है।

उत्तर- हां ।

(ख) कवयित्री मीराँबाई भगवान कृष्ण की अनन्य आराधिका थी।

उत्तर- हां ।

(ग) राजपूतों की तत्कालीन परंपरा का विरोध करती हुई क्रांतिकारिणी मीराँ सती नहीं हुई।

उत्तर – हां ।

(घ) मीराँबाई अपने को भगवान कृष्ण की चरणों में पूर्णत: समर्पित नहीं कर पाई थी।

उत्तर- नहीं ।

(ङ) मीराँबाई भगवान कृष्ण को अपने घर आने का आमंत्रण दिया है।

उत्तर- हां ।

(३) सपूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

(क) कवयित्री मीराँबाई का जन्म कहाँ हुआ था ?

उत्तर- कवयित्री मीराँबाई का जन्म मेड़ता प्रांत के कुड़की नामक स्थान में हुआ था।

(ख) भक्त कवयित्री मीराँबाई को कौन-सी आख्या मिली है ?

उत्तर- भक्त कवयित्री मीराँबाई को श्रीकृष्ण प्रेम-दिवानी की आख्या मिली है।

(ग) मीराँबाई के कृष्ण भक्तिपरक फुटकर पद किस नाम से प्रसिद्ध है ?

उत्तर : मीराँबाई के कृष्ण भक्तिपद फुटकर पद मीराँबाई के पदावली नाम से प्रसिद्ध है।

(घ) मीराँबाई के पिता कौन थे ?

उत्तर : मीराँबाई के पिता का नाम राव रत्न सिंह था।

(ङ) कवयित्री मीराँबाई ने मनुष्यों से किस नाम का रस पीने का आह्वान किया है ? [HSLC 2014]

उत्तर : कवयित्री मीराँबाई ने मनुष्यों से रामनाम का रस पीने का आह्वान किया है।

(४) अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में)

( क ) मीराँ-भजनों की लोकप्रियता पर प्रकाश डालो।

उत्तर : मीराँ के भजनों में कृष्ण भक्ति के साथ-साथ गयात्मकता भी है। ये पद अनूठे हैं। इनकी लोकप्रियता का यही कारण है।

(ख) मीराँ का बचपन किस प्रकार बीता था ?

उत्तर : मीराँ की माता का निधन बचपन में ही हो गया था। पिता हमेशा युद्ध में व्यस्त रहते थे। अतः मीराँ का पालन-पोषण उनकी दादा जी के द्वारा हुआ था।

(ग) मीराँबाई का देहावसान किस प्रकार हुआ था ?

उत्तर : यह बात प्रसिद्ध है कि मीराँबाई द्वारिकानाथ में रहने लगी थी। 1546 ई. में भजन गाते हुए मीरांबाई श्रीकृष्ण की मूर्ति में सदा के लिए समा गई थी।

(घ) कवयित्री मीराँबाई की काव्य भाषा पर प्रकाश डालो।

उत्तर : मीराँ की काव्य भाषा मुख्यतः हिन्दी की उपभाषा राजस्थानी है। पर इसमें गुजराती, पंजाबी, खड़ी बोली के शब्द भी मिलते हैं।

(५) संक्षेप में उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में ) :

(क) प्रभु कृष्ण के चरण-कमलों में अपने को न्योछावर करने वाली मीराँबाई ने अपने आराध्य से क्या-क्या निवेदन किया है ?

उत्तर : मीराँबाई ने अपनी आराध्य भगवान कृष्ण से यह निवेदन किया है कि उन्होंने स्वयं को पूर्ण रूप से भगवान कृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया है। अब कृष्ण शीघ्र आकर उन्हें दर्शन दें। मीराँ कृष्ण के विरह में पान के पके पत्ते की तरह पीली पड़ गई है।

(ख) सुन्दर श्याम को अपने घर आने का निमंत्रण देते हुए कवयित्री उनसे क्या-क्या कहा है ? [HSLC 2014]

अथवा,

अपने घर आने का आमंत्रण देकर मीराँवाई श्याम से क्या कहती है ? [HSLC 2018]

उत्तर : सुन्दर श्याम को अपने घर आने का निमंत्रण देते हुए मीराँबाई ने कहा कि सुन्दर श्याम आप हमारे घर आए। तुम्हारे आए बिना मैं सुखी नहीं होऊंगी। तुम्हारे विरह में मैं पके पान के पत्ते की तरह पीली पड़ गई हूं। मुझे तुझ पर ही आशा है, विश्वास है।

(ग) मनुष्य मात्र से राम (कृष्ण) रामनाम का रस पीने का आह्वान करते हुए मीराँबाई ने उन्हें क्या उपदेश दिया है ? अथवा, राम नाम के रस पीने के लिए मीराबाई ने क्या कहा है ? [HSLC 2020]

उत्तर : लोगों को रामनाम का रस पीने का उपदेश देते हुए मीराँबाई कहती है कि हे मनुष्य तुम रामनाम का रस पी लो । कुसंगति का त्याग कर सत्संगति में बैठ कर रामनाम की चर्चा करो। काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को अपने मन से निकाल दो। प्रभु कृष्ण के रंग में रंग जाओ।

(६) सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में )

(क) मीराँबाई के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालो ।

उत्तर: हिन्दी के कृष्ण भक्त कवियों मीराँबाई का स्थान अन्यतम है। इनका जन्म सन 1498 ई. में राजपूताना के मेड़ता प्रांत के कुड़की नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता का नाम राव रत्न सिंह था। मीराँबाई की माता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। पिता हमेशा युद्ध में व्यस्त रहते थे। अतः इनका पालन-पोषण इनके दादा जी की देख रेख में हुई। इन्हीं से इन्हें कृष्णभक्ति की शिक्षा मिली। उम्र बढ़ने के साथ साथ इनकी कृष्णभक्ति भी बढ़ती गई। सन् 1516 ई. में मीराँबाई का विवाह राणा सांगा के जेष्ठ पुत्र भोजराज के साथ हुआ। दुर्भाग्यवश विवाह के सात वर्ष बादही भोजराज की मृत्यु हो गई। क्रांतिकारिणी मीराँ ने पति के साथ सति होने से मना कर दिया। ये कृष्ण की भक्ति में लीन हो गई। सन् 1546 ई. में प्रभु कृष्ण के भजन- कीर्तन करते करते रणछोड़ जी के मंदिर में सदा के लिए भगवान की मूर्ती में समा गई।

(ख) पठित पाठ के आधार पर मीराँबाई की भक्ति भावना का निरूपण करो।

अथवा,

मीराँबाई संसार के लोगों को क्या सलाह देती है ? (पद संख्या तीन के आधार पर उत्तर दो ) । [HSLC 2015]

अथवा,

मीराँबाई ने मनुस्य को क्या उपदेश दिया है। [HSLC 2017]

अथवा,

“मीराबाई ने ‘ताहि के रंग में भीजै’ के जरिए क्या उपदेश दिया है ? [HSLC 2019]

उत्तर : मीराँबाई भगवान कृष्ण की अनन्य उपासिका थीं। इनके सारे पद कृष्णभक्ति से सराबोर है। ये भगवान कृष्ण को ही अपना प्रियतम मानती थीं। कृष्ण की भक्ति में डूब कर मीराँबाई कहती है कि वे तो भगवान कृष्ण के शरण में आ गई हैं। पहले तो कोई नहीं जानता था। अब तो सभी जान गए हैं । भगवान कृष्ण तत्काल उनकी सुध लें। मीराँबाई भगवान कृष्ण से कहती हैं वे शीघ्र उनके घर आएं। उनके दर्शन के बिना पान के पके पत्ते की समान पीली पड़ गई है। इस प्रकार से मीराँ कृष्णमय हो गई है। उनकी भक्ति में वे आकंठ डूब गई है। इतना ही नहीं, मीराँ तो मनुष्य मात्र को कृष्ण की भक्ति करने का उपदेश देती हैं।

(ग) कवयित्री मीराँबाई का साहित्यिक परिचय प्रस्तुत करो।

उत्तर : हिंदी के कृष्णभक्त कवियों में मीराँ सर्वश्रेष्ठ हैं। हिंदी साहित्य में मीराँ को कृष्ण प्रेम दिवानी कहा गया है। मीराँ के पद हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। इन पदों में भक्ति भावना के साथ-साथ और भी कई काव्यगत विशेषताएं हैं।

(७) सप्रसंग व्याख्या करो :

(क) “मैं तो चरण लागी….. चरण कमल बलिहार।” [HSLC 2016, 2022]

उत्तर :

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के कवयित्री मीराँबाईजी द्वारा रचित ‘पद त्रय’ से ली गई है।

सन्दर्भ : कवयित्री मीराँबाई ने इसमें भगवान कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धा-भक्ति व्यक्त की गई है।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री मीराबाँईजी ने कहती हैं कि मैं तो भगवान कृष्ण की शरण में आ गई हूँ। पहले तो इस बात को कोई नहीं जानता था, लेकिन अब तो सारा संसार जान गया है। हे भगवान आप कृपा करके दर्शन दें। हमारी सुध लीजिए। हे भगवान मैं तो आप के चरणों पर न्यौछावर हो गई है। यानी कि मैं आप की शरण में आ गई हूँ।

(ख) “म्हारे घर आवौ…… राखो जी मेरो माण।” [HSLC 2016, 2022]

उत्तर :

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के कवयित्री मीराँबाईजी द्वारा रचित पद त्रय से ली गई है।

सन्दर्भ : कवयित्री मीराबाई ने इस में भगवान कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धा-भक्ति व्यक्त की गई है।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में मीराँबाईजी ने कहती है कि हे भगवान कृष्ण आप मेरे घर आएं। जब तक आप मेरे घर नहीं आएंगे तब तक मुझे चैन नहीं आएगा। आप के वियोग में मैं पके आम के पत्ते के समान पीली पड़ गई हूं। आप ही मेरे स्वामी हैं। मैं तो आप ही का ध्यान लगाए रहती हूं। हे भगवान कृष्ण आप मुझे शीघ्र दर्शन दें और मेरी लाज रख लें।

(ग) “राम नाम रस पीजै,…. रंग में भीजै ।

उत्तर :

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के कवयित्री मीराँबाईजी द्वारा रचित पद त्रय से ली गई है।

सन्दर्भ : कवयित्री मीराँबाई ने इसमें भगवान कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धा- भक्ति व्यक्त की गई है।

व्याख्याः प्रस्तुत पंक्तियों में मीराँबाईजी ने कहती है कि हे मावन आप सब भगवान कृष्ण की भक्ति में डूब जाओ। कुसंग को त्याग सत्संग में बैठे और भगवान कृष्ण की कथा सुन लें। काम, क्रोध, मद, लोभ को मन से निकाल दें। मीराँ के प्रभु कृष्ण की भक्ति में सब डूब जाएँ।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

(१) निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखो :

शब्दतत्सम रूप
कीरपाकृपा
आसाआशा
श्यामश्याम
दरसणदर्शन
चरचाचर्चा
धरमधर्म
किशनकृष्ण
हरखहर्ष

(२) वाक्यों में प्रयोग करके निम्नलिखित समोच्चरित शब्द जोड़ों के अर्थ का अंतर स्पष्ट करो :

शब्द जोड़ावाक्य
संसारयह संसार बहुत बड़ा है।
संचारमोबाइल संचार का एक साधन है।
चरणमैं भगवान के चरण की सेवा करता हूँ।
शरणमैं तुम्हारी शरण में आ गया हूँ।
दिनदिन निकल आया है।
दीनवह आदमी बहुत दीन है।
कलीयह गुलाब की कली है।
कूलगुवाहाटी ब्रह्मपुत्र के कूल पर है।
कुलमैंने अच्छे कुल में जन्म लिया है।
कलियह कलि युग है।
प्रसादमैं भगवान को प्रसाद चढ़ा रहा हूँ।
प्रासादराजा राज -प्रासाद में रहते हैं।
अभिरामचेरापूँजी का अभिराम दृश्य है।
अविरामसमय अविराम आगे बढ़ता है।
पवनसुबह का पवन निर्मल होता है।
पावनकामाख्या पावन मंदिर है।

(३) निम्नलिखित शब्दों के लिंग-परिवर्तन करो :

शब्दलिंग परिवर्तन
कविकवयित्री
दादादादी
भगवानभगवती.
बालिकाबालक
पतिपत्नी
भक्तिभक्त

(४) निम्नलिखित शब्दों के वचन-परिवर्तन करो :

शब्दवचन परिवर्तन
कविताकविताएँ
कविकविगण
कलमकलमें
सखीसखियाँ
निधिनिधियाँ
पौधापौधे
औरतऔरतें
बहूबहुएँ

निष्कर्ष:

हमारा मानना ​​है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को विषयों की बेहतर समझ विकसित करने और उनकी परीक्षा के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेंगे।

हमें विश्वास है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने और उनके अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करेंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो और मददगार लगा हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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