Class 10 Hindi Chapter 5 | साखी  Question Answer | SEBA

Class 10 Hindi Chapter 5 | साखी (कबीरदास)  Question Answer | SEBA: हमारी वेब साईट में स्वागत है! हम आपको आपकी शैक्षणिक यात्रा के लिए ग्रेड 10 के नोट्स प्रदान करते हुए प्रसन्न हैं।

आज, इस लेख में मैं आपके 10 वीं कक्षा के साखी के दीर्घ और लघु प्रश्नों पर चर्चा करूँगा हम लगभग सभी लंबे और छोटे प्रश्नों के समाधान प्रदान करते हैं।

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Class 10 Hindi Chapter 5 Question Answer

अभ्यास-माला

बोध एवं विचार

(१) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो

(कं) महात्मा कबीर दास का जन्म कब हुआ था ?

उत्तर : सन् 1398 में महात्मा कबीर दास का जन्म हुआ था।

(ख) संत कबीर दास के गुरु कौन थे ? [HSLC 2013]

उत्तर : संत कबीर दास के गुरु थे रामानंद जी ।

(ग) कस्तूरी मृग वन-वन में क्या खोजता फिरता है? [HSLC 2015]

उत्तर : कस्तूरी मृग वन-वन में कस्तूरी नामक सुगंधित खोजता फिरता है।

(घ) कबीर दास के अनुसार पंडित कौन है ? [HSLC 2019]

उत्तर : कबीर दास के अनुसार “जो प्रेम का ढाई आखर” पढ़ता है वह पंडित है।

(ङ) कवि के अनुसार हमें कल का काम कब करना चाहिए ? [HSLC 2016]

उत्तर : कवि के अनुसार हमें कल का काम आज करना चाहिए।

(च) कबीर के अनुसार गुरु कुम्हार है तो शिष्य क्या है ? [HSLC 2020]

उत्तर : कबीर के अनुसार गुरु कुम्हार है तो शिष्य कुम्भ हैं।

(२) एक शब्द में उत्तर दोः

(क) श्रीमंत शंकरदेव ने अपने किस ग्रंथ में कबीरदास जी का उल्लेख किया है ?

उत्तर : कीर्तन घोषा ।

(ख) महात्मा कबीरदास का देहांत कब हुआ था ?

उत्तर : सन् 1518 में।

(ग) कबीरदास के अनुसार प्रेमहीन शरीर कैसा होता है? [HSLC 2015]

उत्तर: श्मशान की तरह।

(घ) कबीरदास जी ने गुरु को क्या कहा है ?

उत्तर : कुम्हार ।

(ङ) महात्मा कबीरदास की रचनाएँ किस नाम से प्रसिद्ध है?

उत्तर : बीजक ।

(३) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

(क) कबीरदास के पालक पिता-माता कौन थे ?

उत्तर : नीरू और नीमा कबीरदास के पालक पिता-माता थे।

(ख) कबीर शब्द का अर्थ क्या है ?

उत्तर : कबीर शब्द का अर्थ है बड़ा, महान, श्रेष्ठ ।

(ग) साधु की कौन सी बात नहीं पूछनी चाहिए ? [HSLC 2016]

उत्तर : साधु से उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए।

(घ) साखी शब्द किस संस्कृत शब्द से विकसित है ? [HSLC 2017, 2020]

उत्तर : साखी शब्द संस्कृत के “साक्षी” शब्द से विकसित है।

(ङ) डूबने से डरने वाला व्यक्ति कहाँ बैठा रहता है ? [HSLC 2018]

उत्तर : डूबने से डरने वाला व्यक्ति किनारे पर बैठा रहता है।

(च) कबीरदास ने किस भाषा में कविता लिखी थी ? [HSLC 2019]

उत्तर : कबीर की भाषा कबीर-काव्य की भाषा वस्तुतः तत्कालीन हिन्दुस्तानी है।

(छ) कबीरदास के अनुसार साधु की पहचान क्या है ? [HSLC 2017]

उत्तर : कबीरदास के अनुसार ज्ञान का भंडार ही साधु की पहचान है।

(ज) कबीरदास ने किस भाषा में कविता लिखी थी ? [HSLC 2019]

उत्तरः कबीरदास ने तत्कालीन हिंदुस्तानी भाषा में कविता लिखी ती ।

(४) अति संक्षिप्त उत्तर दें ( 25 शब्दों में):

(क) कबीरदास की कविताओं की लोकप्रियता पर प्रकाश डालो।

उत्तर : कबीरदास जी ने जनता के बीच रहकर जनता की भाषा में कविता की। इनकी कविताओं में भक्ति के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान और मानवतावादी दृष्टि भी है। इसीलिए इनकी कविताएं लोकप्रिय हुईं।

(ख) कबीरदास जी के आराध्य कौन थे ?

उत्तर : कबीरदास जी के आराध्य सर्वव्यापी निराकर परमेश्वर राम थे।

(ग) कबीरदास जी की काव्य भाषा किन गुणों से युक्त है?

उत्तर : कबीरदास की काव्य भाषा तत्कालीन हिंदुस्तानी था। इसमें हिंदी,उर्दू, पंजाबी, राजस्थानी, फारसी आदि के शब्द मिले थे। विद्वानों ने इसे सधुक्कड़ी भाषा कहा है।

(घ) ‘तेरा साईं तुझ में, ज्यों पुहुपन में’ बास का आशय क्या है ?

उत्तर : इसका आशय यह है कि जिस प्रकार फूल के अंदर ही उसकी खुशबू रहती है, बाहर नहीं । उसी प्रकार ईश्वर का निवास हर व्यक्ति की आत्मा में होता है, बाहर नहीं ।

(ङ) सत् गुरु की महिमा के बारे में कबीरदास ने क्या कहा है ?

उत्तर : सत् गुरु की महिमा के बारे में कबीरदास जी ने यह कहा है कि सत् गुरु अपने शिष्यों पर अनंत कृपा करते हैं। वे उनका ज्ञान चक्षु खोलकर उन्हें ईश्वर के दर्शन करा देते हैं।

(च) ‘अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट’ का तात्पर्य बताओ।

उत्तर : इसका तात्पर्य यह है कि गुरु कुम्हार के समान होते हैं। कुम्हार जिस प्रकार से कच्चे घड़े का खोट खोज-खोज कर निकालता है और भीतर से सहारा देकर ऊपर से चोट करके उस खोट को दूर करता है, उसी प्रकार गुरु अंतर मन से अपने शिष्य से स्नेह करते हैं, लेकिन उसकी कमियों को दूर करने के लिए ऊपर मन से उस पर शासन करते हैं।

(५) संक्षेप में उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में)

(क) बुराई खोजने के संदर्भ में कवि ने क्या कहा है ?

उत्तर : बुराई खोजने के संदर्भ में कवि ने कहा है कि जब मैं बुरा व्यक्ति खोजने चला तब मुझे बुरा कोई नहीं मिला। जब मैंने अपने अंदर झाँका तब मुझ सा बुरा कोई नहीं मिला।

(ख) कबीरदास जी ने किस लिए मन का मनका फेरने का उपदेश दिया है?

उत्तर : कबीरदास जी ने मन का मनका फेरने का उपदेश इसलिए दिया है कि क्योंकि हाथ का मनका बहुत दिनों तक फेरने से भी मन की बुराई नहीं गई। अतः अब मन को बुराई की ओर से फेरने की बात कही है।

(ग) गुरु शिष्य को किस प्रकार गढ़ते हैं ? [HSLC 2016]

उत्तर : कुम्हार जिस तरह घंड़े को गढ़ता है, उसी प्रकार गुरु भी शिष्य को गढ़ते हैं। अंदर से तो स्नेह करते हैं लेकिन उसकी बुराई दूर करने के लिए ऊपर से उस पर कठोर शासन करते हैं।

(घ) कोरे पुस्तकीय ज्ञान की निरर्थकता पर कबीरदास जी ने किस प्रकार डाला है ?

उत्तर : कोरे पुस्तकीय ज्ञान की निरर्थकता पर कबीरदास जी ने इस प्रकार प्रकाश डाला है कि शास्त्र पढ़-पढ़ कर बहुत से लोग विद्वान बन गए, लेकिन ज्ञानी कोई नहीं बन सका। जिसने ढाई अक्षर प्रेम का पढ़ लिया वही पंडित बन गया।

(६) सम्यक उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में)

(क) संत कबीरदास की जीवन-गाथा पर प्रकाश डालो।

उत्तर : संत कबीरदास का जन्म सन् 1398 ई. में और मृत्यु 1518 ई. में हुई थी। इनका जन्म वाराणसी में और मृत्यु मगहर में हुई थी। कहा जाता है कि जन्म के तुरंत, बाद ही इनकी माता ने इन्हें लहरतारा नामक तालाब के किनारे छोड़ दिया था। नीरू और नीमा नामक एक जुलाहे दंपत्ति ने इनको पाल-पोषकर बड़ा किया था। बड़े होकर ये भी जुलाहे का काम करने लगे थे। साथ ही साथ कविता बनाकर शिष्यों को शिक्षा भी देने लगे थे। इनके गुरु का नाम स्वामी रामानंद था। इनकी पत्नी का नाम लोई था। कमाल और कमाली इनके पुत्र-पुत्री थे। कबीरदास की मृत्यु के बाद इनके शिष्यों ने इनके उपदेशों को पुस्तक का रूप दिया, जो बीजक के नाम से प्रसिद्ध है।

(ख) भक्त कवि कबीरदास जी का साहित्यिक परिचय दो ।

उत्तर : हिंदी साहित्य के ज्ञानमार्गी भक्त कवियों में कबीरदास जी का स्थान सर्वोच्च है। इन्होंने आम जनता के बीच रह कर आम जनता की भाषा में आम जनता के लिए कविता की थी। इनकी कविता में भक्ति भाव के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान और मानवतावादी दृष्टिकोण भी पाया जाता है। इसीलिए इनकी कविताएँ आज भी प्रासांगिक हैं। ये अपने समय के लोकप्रिय और क्रांतिकारी कवि थे। ये पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन सांसारिक अनुभवों से काफी ज्ञान प्राप्त किया था। इनकी मृत्यु के बाद इनके शिष्यों ने इनकी कविताओं को पुस्तक रूप दिया, जिसे बीजक कहा जाता है। इनके तीन भाग हैं- साखी, शबद और रमैनी। इनकी भाषा को पचमेल, सधुक्कड़ी या खिचड़ी कहा जाता है। इसमें हिंदी, उर्दू, फारसी, राजस्थानी, पंजाबी के शब्द मिले हैं।

(७) सप्रसंग व्याख्या करो :

(क) जाति न पूछो साधु की….. पड़ा रहन दो म्यान ।[HSLC 2019, 2022]

उत्तर:

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग 2 के कबीरदासजी द्वारा रचित ‘साखी’ शीर्षक कविता से ली गई है।

सन्दर्भ : कवि ने इसमें साधु की जाति नहीं, ज्ञान पूछने की बात कही है।

व्याख्या : कवि कहते हैं कि जिस प्रकार हम म्यान की नहीं तलवार की कीमत लगाते हैं, उसी प्रकार हमें साधुओं की जाति नहीं, ज्ञान के बारे में पूछना चाहिए। असली चीज तो ज्ञान होता है, जाति नहीं।

(ख) जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ……………… रहा किनारे बैठ । [HSLC 2015]

उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग २ के करीबदासजी द्वारा रचित ‘साखी’ शीर्षक कविता से ली गई है।

सन्दर्भ : कबीरदास जी ने इसमें परिश्रम के महत्त्व को बताया है।

व्याख्या : कबीरदास जी कहते हैं कि जो गहरे पानी में डुबकी लगा कर खोजता है, मोती उसी को मिलता है। उसे मोती कहाँ से मिलेगा जो डूबने के डर से किनारे पर बैठा रहता है। यानी कि परिश्रम करने वाले को ही जीवन में सफलता मिलती है।

(ग) जा घट प्रेम न संचरै…….. साँस लेत बिनु प्राण। [HSLC 2015, 2019]

उत्तर :

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग 2 के कबीरदासजी द्वारा रचित ‘साखी’ शीर्षक कविता से ली गई है।

सन्दर्भ : कवि ने इसमें प्रेम के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या : कबीरदास जी कहते हैं कि जिस व्यक्ति के हृदय में प्रेम का संचार नहीं होता है, वह व्यक्ति श्मशान के समान होता है। वह साँस तो लेता है, लेकिन उसी प्रकार जिस प्रकार की लोहार की भाथी एक जड़ पदार्थ होकर भी साँस लेता है।

(घ) काल करे सो……………………….. बहुरि करेगो कब । [HSLC 2017, 2022]

उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग 2 के करीबदासजी द्वारा रचित ‘साखी’ शीर्षक कविता से ली गई है।

सन्दर्भ: कबीरदास जी ने यहाँ पर समय की महत्ता पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या : कबीरदास जी कहते हैं कि हमें जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लेना चाहिए। आज जो करना है उसे अभी कर लेना चाहिए। मौत का कोई पता नहीं कब आ जाए। मौत आ जाने से मन की सोची बात मन में ही रह जाती है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

(१) निम्नांकित शब्दों के तत्सम रूप लिखो

मिरग [HSLC 2018], पुहुप, सिष, आखर, मसान, परलय, उपगार, तीरथ

उत्तरः

शब्दतत्सम रूप
मिरगमृग
सिषशिष्य
मसानश्मशान
उपगारउपकार
पुहुपपुष्प
आखरअक्षर
परलयप्रलय
तीरथतीर्थ

(२) वाक्यों में प्रयोग करके निम्नलिखित जोड़ों के अर्थ का अन्तर स्पष्ट करो मनका – मन का, करका- कर का, नलकी-नल की, पीलिया-पी लिया, तुम्हारे-तुम हारे, नदी- न दी ।

उत्तरः

1. मनका : रमेश मनका फेर कर मंत्र पढ़ रहा है।

मन का : राम के मन का भ्रम अभी खत्म नहीं हुआ है।

2. करका : कश्मीर में अधिक करका पड़ता है।

कर का : यह समान उसके कर का बना हुआ है।

3. नलकी : नलकी से पानी पिओ।

नल की : गावों में पानी के नल की व्यवस्था नहीं है।

4. पीलिया : राम पीलिया रोग से ग्रस्त है।

पी लिया : मोहन ने चाय पी लिया है।

5. तुम्हारे : यह तुम्हारे लिए बना हुआ है।

तुम हारे : तुम हारे हुए लगते हो ।

6. नदी : गंगा एक बड़ी नदी है।

न दी : मित्र ने सहायता न दी।

(३) निम्नलिखित शब्दों के लिंग निर्णय करो :

महिमा, चोट, लोचन, तलवार, ज्ञान, घर, साँस, प्रेम

उत्तर :

शब्दलिंग
महिमास्त्री.
लोचनपु.
ज्ञानपु.
साँसस्त्री
चोटस्त्री.
तलवारस्त्री.
घटपु.
प्रेमपु.

(४) निम्नलिखित शब्द समूहों के लिए एक-एक शब्द लिखो :

शब्द समूहएक शब्द
(क) मिट्टी के बर्तन बनाने वालाकुम्हार
(ख) जो जल में डुबकी लगाता होगोताखोर
(ग) जो लोहे के औजार बनाता हैलोहार
(घ) सोने का गहने बनाने वाला कारीगरसोनार
(ङ) विविध विषयों का गंभीर ज्ञान रखने वाला व्यक्तिपंडित, ज्ञानी

(५) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो :

उत्तर :

शब्दपर्यायवाची शब्द
साईपरमात्मा, ईश्वर
पवनवायु, हवा
सूर्यरवि, भास्कर
धरतीधरा, पृथ्वी
पानीजल, जीवन
फूलपुष्प, सुमन
गगनअंबर, आकाश

Conclusion:

हमारा मानना ​​है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को विषयों की बेहतर समझ विकसित करने और उनकी परीक्षा के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेंगे।

हमें विश्वास है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने और उनके अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करेंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो और मददगार लगा हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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