Class 10 Hindi Chapter 4 | सड़क की बात Question Answer | SEBA

Class 10 Hindi Chapter 4 | सड़क की बात (रवीन्द्रनाथ ठाकुर) Question Answer | SEBA: हमारी वेबसाईट में स्वागत है! हम आपको आपकी शैक्षणिक यात्रा के लिए ग्रेड 10 के नोट्स प्रदान करते हुए प्रसन्न हैं।

आज, इस लेख में मैं आपके 10 वीं कक्षा के सड़क की बात के दीर्घ और लघु प्रश्नों पर चर्चा करूँगा हम लगभग सभी लंबे और छोटे प्रश्नों के समाधान प्रदान करते हैं।

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अभ्यास-माला

बोध एवं विचार

(क) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो

(१) मैं बोल नहीं सकती, पर अंधे की तरह सब कुछ महसूस कर सकती हूँ।’ -यहा ‘मैं’ किसके लिए प्रयुक्त है ?

उत्तर : सड़क के लिए।

(२)’सड़क की वात’ पाठ के लेखक कौन है ?

उत्तर : ‘सड़क की बात’ पाठ का लेखक रवीन्द्रनाथ ठाकुर है।’

(१) एक शब्द में उत्तर दो

(क) गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर किस आख्या से विभूषित हैं ?

उत्तर : विश्व-कवि ।

(ख) रवींद्रनाथ ठाकुर जी के पिता का नाम क्या था ?

उत्तर : देवेंद्रनाथ ठाकुर।

(ग) कौन-सा काव्य ग्रंथ रवींद्रनाथ ठाकुर जी की कीर्ति का आधार स्तम्भ है ? [HSLC 2019]

उत्तर : गीतांजलि ।

(घ) सड़क किसकी आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है ?

उत्तर : शाप की ।

(ङ) सड़क किसकी तरह सब कुछ महसूस करती है ?

उत्तर : संसार की ।

(२) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

(क) कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुरका जन्म कहा हुआ था ? [HSLC 2016]

उत्तर : अंधे की तरह।

(च) सड़क किसकी कोई भी कहानी पूरी नहीं सुन पाती ? [HSLC 2018]

उत्तर: कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कोलकाता के जोरासांको में हुआ था।

(ख) गुरुदेव ने कब मोहनदास करमचंद गांधी को ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया था ?

उत्तर : शांतिनिकेतन में आने पर गुरुदेव ने मोहनदास करमचंद गांधी को ‘महात्मा’ कह कर संबोधित किया था।

(ग) सड़क के पास किस कार्य के लिए फुरसत नहीं है ?

उत्तर : सड़क के पास फुरसत नहीं है कि वह अपने सिरहाने नीले रंग का एक वनफूल खिला सके ।

(घ) सड़क ने अपनी निंद्रावस्था की तुलना किससे की है ?

उत्तर : सड़क ने अपनी निंद्रावस्था की तुलना अजगर से की है।

(ङ) सड़क अपनी सूखी औरकड़ी सेज पर क्या नहीं डाल सकती ?

उत्तर : सड़क अपनी सूखी और कड़ी सेज पर एक मुलायम दूब नहीं डाल सकती।

(च) ‘मै अपन ऊपर कुछभी पड़ा रहने नहीं देती’। यहाँ ‘मै’ किसके लिए प्रयुक्त है ? [HSLC 2017, 2020]

उत्तरः यहाँ ‘मै’ सड़क के लिए प्रयुक्त है।

(३) अति संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में )

( क ) रवींद्रनाथ ठाकुर जी की प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है ?

उत्तर : रवींद्रनाथ ठाकुर की प्रतिभा का परिचय हमें कविता, कहानी, उपन्यास, चित्रकला, संस्कृति, शिक्षा आदि के क्षेत्र में मिलता है।

(ख) शांतिनिकेतन के महत्त्व पर प्रकाश डालो।

उत्तर: शांतिनिकेतन रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित एक शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यह अब विश्वभारती नाम से विश्वविद्यालय के रूप में विख्यात है।

(ग) सड़क शाप मुक्ति की कामना क्यों करती हैं ?

उत्तर: सड़क किसी के शाप से स्थित, अविचल, जड़ निद्रा में होता है कि शायद किसी के शापवश सोई हुई है। अतः वह अब शाप मुक्ति की कामना करती है।

(घ) सुख की घर-गृहस्थी वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क को क्या बोध होता है ?

उत्तर : सुख की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क को यह अनुभव होता है कि वह हर कदम पर सुख की तस्वीर खींचता है। आशा के बीज बोता है।

(ङ) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क को क्या अनुभव होता है ?

उत्तर : गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क को अनुभव होता है कि उसके कदमों में न आशा है न अर्थ है। उसके कदमों में न दाएँ है बाएँ है।

(च) सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण चिह्न को क्यों ज्यादा देर तक नहीं देख सकती ?

उत्तर: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण चिह्न को ज्यादा देर नहीं देख सकती है क्योंकि उसके ऊपर लगातार चरण चिह्न पड़ते रहते हैं। नए पाँव आकर पुराने चरण चिह्नों को पोछ देते हैं।

(छ) बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में कौन-से मनोभाव बनते हैं? [HSLC 2016]

उत्तर : बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में यह मनोभाव बनता है कि उसकी कठोरता बच्चों के पाँवों को लगती होगी। उस समय उसे कुसुम कली के समान कोमल होने की इच्छा होती है।

(ज) किसके लिए सड़क को नहँसी है न रोना ?

अथवा,

“इसलिए सड़क के न हँसी, न रोना” इसके पीछे क्या-क्या कारण ही सकते हैं ? [HSLC 2019]

उत्तर : अमीर-गरीब, जन्म-मृत्यु के लिए सड़क को न हँसी है न रोना।

(झ) राहगीरों के पाँवों के शब्दों को याद रखने के संदर्भ में सड़क ने क्या कहा है ?

उत्तर : राहगीरों के पाँवों के शब्दों को याद रखने के संदर्भ में सड़क ने कहा है कि कितनेल ही पाँवों के शब्द उस पर आकर नीरव हो गए हैं। वह उन्हें याद नहीं रख सकती।

(४) संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में )

( क ) जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श से उनके बारे में क्या समझ जाती है?

उत्तर : जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श से उनके बारे में यह समझ जाती है कि कौन दुःखी व्यक्ति है, कौन सुखी व्यक्ति है, कौन श्मशान जा रहा है। कौन हँस रहा है, कौन रो रहा है, कौन काम करने जा रहा है, कौन आराम करने जा रहा है, आदि-आदि।

(ख) सड़क संसार की कोई भी कहानी पूरी क्यों नहीं सुन पाती ?

उत्तर : सड़क संसार की कोई भी कहानी पूरी नहीं सुन पाती है क्योंकि कोई भी व्यक्ति सड़क पर रुक कर अपनी पूरी कहानी नहीं सुनाता। लोग कहानी सुनाते- सुनाते आगे बढ़ जाते हैं। उसकी जगह दूसरा व्यक्ति आ जाता है और उसकी कहानी शुरू हो जाती है।

(ग) ‘मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूँ। सब का उपाय मात्र हूँ।’- सड़क ने ऐसा क्यों कहा है ?

अथवा,

‘मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूँ। सब का उपाय मात्र हूँ।’- इस कथन का आशय क्या है ? [HSLC 2015, 2020]

उत्तर: सड़क ने ऐसा इसलिए कहा कि क्योंकि कोई सड़क तक पहुँचने का लक्ष्य नहीं रखता, सड़क के सहारे अपने लक्ष्य तक पहुँचता है। सड़क हर व्यक्ति को उसके लक्ष्य तक ले जाती है। लक्ष्य तक पहुँचने का उपाय बनती है। अतएव प्रस्तुत अंश का आशय इस प्रकार है।

(घ) सड़क कब और कैसे घर का आनंद कभी-कभी महसूस करती है ? [HSLC 2018]

उत्तर : सड़क घर का आनंद कभी-कभी तब महसूस करती है, जब छोटे बच्चे अपने घर से निकलकर सड़क को ही अपना घर बना लेते हैं। अपने घर का आनंद वे सड़क पर ले आते हैं। उनके पिता का आशीर्वाद और माँ का स्नेह घर से निकल कर सड़क पर आ जाता है।

(ङ) सड़क अपने ऊपर नियमित रूप से चलने वालों की प्रतीक्षा क्यों करती है ?

उत्तर : सड़क अपने ऊपर नियमित रुप से चलने वालों की प्रतीक्षा करती है क्योंकि वह उन्हें अच्छी तरह पहचानती है।

(५) उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में)

( क ) सड़क का कौन-सा मनोभाव तुम्हें सर्वाधिक हृदयस्पर्शी लगा और क्यों ?

उत्तर : सड़क का वह मनोभाव मुझे सर्वाधिक हृदयस्पर्शी लगा जिसमें वह कहती है कि बच्चों अपने कोमल पैरों से जब उस पर चलते हैं तब सड़क को ऐसा लगता है, जैसे कि सड़क की कठोरता बच्चों के पैरों में लगती होगी। उस समय सड़क को लगता है कि वह कुसुम की कोमल कली बन जाए। सड़क का यह मनोभाव मुझे इसलिए अच्छा लगा क्योंकि इसमें सड़क ने बच्चों के प्रति अपनी गहरी संवेदी सहानुभूति दिखाई है।

(ख) सड़क ने अपने बारे में जो कुछ कहा है उसे अपने शब्दों में प्रस्तुत करो ।

उत्तर : इस प्रश्न के उत्तर के लिए पाठ का सारांश देखें।

(ग) सड़क की बातों के जरिए मानव जीवन की जो बातें उजागर हुई हैं, उन पर संक्षिप्त प्रकाश डालो।

उत्तर : प्रस्तुत पाठ में लेखन ने सड़क की आत्मकथा के माध्यम से मानव की आत्मकथा प्रस्तुत की है। मानव का जीवन सड़क के जीवन के समान ही होता है। जिस प्रकार सड़क पर सुखी, दुखी, गरीब, अमीर, छोटे, बड़े सभी तरह के लोग चलते हैं, उसी प्रकार मानव का जीवन भी कई प्रकार का होता है। जिस प्रकार सड़क पर बहुत से लोग चलते हैं। वह किसी भी चरण चिह्न को अधिक देर तक याद नहीं रख सकती, उसी प्रकार एक मानव के जीवनकाल में बहुत से लोगों का मिलना-जुलना होता है। आखिर वह किसे कहाँ तक याद रखें। इसी प्रकार से मानव जीवन की बहुत सारी बातों को लेखक ने सड़क की आत्मकथा के माध्यम से उजागर किया है।

(६) सप्रसंग व्याख्या करो

(क) ‘अपनी इस गहरी जड़ निद्रा में लाखों चरणों के स्पर्श से उनके हृदयों को पढ़ लेती हूँ।’

उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के रवींद्रनाथ ठाकुरजी द्वारा रचित ‘सड़क की बात’ शीर्षक पाठ से ली गई है।

सन्दर्भ : लेखक ने इसमें सड़क जैसे उपयोगी जड़ पदार्थ को चेतन प्राणी के रूप में मानवीकरण करते हुए उसकी आत्मकथा प्रस्तुत की है।

व्याख्या : अपनी आत्मकथा कहते हुए सड़क प्रस्तुत पंक्ति में कहती है कि चिर निद्रा में पड़ी-पड़ी ही वह उस पर चलने वाले पाँवों की आहट से ही वह लोगों के दिल की धड़कनें उनकी भावनाएँ, अनुभूतियों, उनके मन की बातों, सुख-दुख का पता लगा लेती है। वह जान लेती है कि कौन सुखी है, कौन दुखी है।

(ख) ‘मुझे दिन-रात यही संताप सताता रहता है कि मुझ पर कोई तबीयत से कदम नहीं रखना चाहता ।’

उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के रवींद्रनाथ ठाकुरजी द्वारा रचित ‘सड़क की बात’ शीर्षक पाठ से ली गई है।

सन्दर्भ : लेखक ने इसमे अति उपयोगी जड़ पदार्थ सड़क का मानवीकरण करके उसकी आत्मकथा प्रस्तुत की है।

व्याख्या: सड़क एक चेतन प्राणी की तरह अपनी आत्मकथा में व्यक्त करती है। कि उसे इस बात का हमेशा दुख रहता है कि कोई उस पर इच्छा से नहीं बल्कि अनिच्छा से पैर रखता है। सभी उसे कोसते ही हैं। कोई उसे अपने घर तक पहुंचा देने के लिए धन्यवाद नहीं देता है।

(ग) ‘मैं अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती, न हँसी, न रोना, सिर्फ मैं ही अकेली पड़ी हुई हूँ और पड़ी रहूँगी।’

उत्तर :

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के रवींद्रनाथ ठाकुरजी द्वारा रचित ‘सड़क की बात’ शीर्षक पाठ से ले गई है।

सन्दर्भ : लेखक ने इसमें एक अति उपयोगी जड़ पदार्थ सड़क का मानवीकरण करते हुए उसकी आत्मकथा प्रस्तुत की है।

व्याख्या : एक चेतन प्राणी की तरह अपनी आत्मकथा में सड़क कहती है कि वह न हँसी न ही रुदन को अपने ऊपर पड़े रहने देती है। भाव यह है कि सड़क पर न तो कोई सुखी आदमी ही ठहरता है और न तो कोई दुखी आदमी ही ठहरता है। सभी उस से गुजर जाते हैं। केवल सड़क की जड़ निद्रा में पड़ी रहती है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

(१) निम्नलिखित सामासिक शब्दों का विग्रह करके समास का नाम लिखो :

दिन-रात, जड़निद्रा, पग-ध्वनि, चौराहा, प्रतिदिन, आजीवन, अविचल, राहखर्च, पथभ्रष्ट, नीलकंठ, महात्मा, रातोंरात

उत्तर :

सामासिकशब्दविग्रह समास
दिन-रातदिन और रातद्वंद्व
जड़निद्राजड़ है जो निद्राकर्मधारय
पग-ध्वनिपग की ध्वनितत्पुरुष
चौराहाचार राहों का समूहद्विगु
प्रतिदिनहर दिनअव्ययीभाव
आजीवनजीवन भरअव्ययीभाव
अविचलनहीं हिलने वालाअव्ययीभाव
राहखर्चराह का खर्चतत्पुरुष
पथभ्रष्टपथ से भ्रष्टतत्पुरुष
नीलकंठनीला है कंठ जिसका अर्थात शिवबहुब्रीहि
महात्मामहान है जो आत्माकर्मधारय
रातोंरातरात ही रात मेंअव्ययीभाव

(२) निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाओ :

परा, अप, अधि, उप, अभि, अति, सु, अव

उत्तर :

परा- पराभव, पराजय [HSLC 2018, 2019]

अप- अपकार, अपयश

उप- उपकुल, उपकार [HSLC 2019]

अभि- अभिमान, अभिनय

अति- अतिरिक्त, अतिशय [HSLC 2019]

सु- सुकुमार, सुयश

अव- अवसर, अवहेलनना

(३) निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग अलग करो :

अनुभव, बेहोश, परदेश, खुशबू, दुर्दशा, दुस्साहस, निर्दय

उत्तर :

उपसर्ग
अनुभवअनु + भवअनु
बेहोशबे + होशबे
परदेशपर + देशपर
खुशबूखुश + बूखुश
दुस्साहसदु: + साहसदुस्
निर्दयनिः + दयनिर्

(४) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो

सड़क, जंगल, आनंद, घर, संसार, माता, आँख, नदी

उत्तर :

सड़कपथ, रास्ता
आनंदखुशी, उमंग
संसारविश्व, जगत
आँखनेत्र, चक्षु
जंगलवन, अरण्य
घरगृह, आलय
मातामाँ, मातृ
नदीसरिता, तरंगिनी

(५) विपरितार्थक शब्द लिखो

मृत्यु, अमीर, शाप, छाया, जड़, आशा, हँसी, आरंभ, कृतज्ञ, पास, निर्मल, जवाब, सूक्ष्म, धनी, आकर्षण

उत्तर :

मृत्युजन्म
शापवरदान
जड़चेतन
हँसीरुदन
कृतज्ञकृतघ्न
निर्मलमैला
सूक्ष्मस्थूल
आकर्षणविकर्षण
अमीरगरीब
छायाधूप
आशानिराशा
आरंभअंत
पासदूर
जवाबसवाल
धनीगरीब

(६) संधि विच्छेद करो

देहावसान, उज्ज्वल, रवींद्र, सूर्योदय, सदैव, अत्यधिक, जगन्नाथ, उच्चारण, संसार, मनोरथ, आशीर्वाद, दुस्साहस, नीरस

उत्तर :

देहावसानदेह + अवसान
जगन्नाथजगत् + नाथ
संसारसम् + सार
आशीर्वादआशीः + वाद
नीरसनिः + रस.
उज्ज्वलउत् + ज्वल
सूर्योदयसूर्य + उदय
रवींद्ररवि + इंद्र
सदैवसदा+एव [HSLC 2015, 2019]
अत्यधिकअति+अधिक [HSLC 2015]
उच्चारणउत् + चारण
मनोरथमनः + रथ
दुस्साहसदु: + साहस

निष्कर्ष:

हमारा मानना ​​है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को विषयों की बेहतर समझ विकसित करने और उनकी परीक्षा के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेंगे।

हमें विश्वास है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने और उनके अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करेंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो और मददगार लगा हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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