Class 10 Hindi Chapter 1 | नींव की ईंट  Question Answer | SEBA

रामवृक्ष बेनीपुरी

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आज, इस लेख में मैं आपके 10 वीं कक्षा के नींव की ईंट के दीर्घ और लघु प्रश्नों पर चर्चा करूँगा हम लगभग सभी लंबे और छोटे प्रश्नों के समाधान प्रदान करते हैं।

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अभ्यास-माला

बोध एवं विचार

1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो

(क) रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

उत्तर : रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म सन् 1902 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अंतर्गत बेनीपुरी गाँव में हुआ था।

(खं ) बेनीपुर जी को जेल की यात्राएँ क्यों करनी पड़ी थी ?

उत्तर : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण बेनीपुरी जी को जेल की यात्राएँ करनी पड़ी थी।

(ग) बेनीपुरी जी का स्वर्गवास कब हुआ था ?

उत्तर : बेनीपुरी जी का स्वर्गवास सन् 1968 ई. में हुआ था।

(घ) चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वस्तुतः किस पर टिकी होती है?

उत्तर : चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वस्तुतः नींव की ईंट पर टिकी होती है।

(ङ) दुनिया का ध्यान सामान्यत: किस पर जाता है ?

उत्तर : दुनिया का ध्यान सामान्यतः कंगूरे पर जाता है।

(च) नींव की ईंट हिला देने का परिणाम क्या होता है?

उत्तर : नींव की ईंट हिला देने से कंगूरा जमीन पर आ गिरता है।

(छ) सुंदर सृष्टि हमेशा क्या खोजती है ? [HSLC 2017]

उत्तर : सुंदर सृष्टि हमेशा बलिदान खोजती है।

(ज) लेखक के अनुसार गिरजाघरों के कलश वस्तुतः किनके शाहादत से चमकते हैं ?

उत्तर : गिरजाघरों के कलश वस्तुतः उन लोगों के बलिदान से चमकते हैं, जिन्होंने इस धर्म के प्रचार के लिए अपने को अनाम उत्सर्ग कर दिया।

(झ) आज किसके लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है ?

उत्तर : आज कंगूरे की ईंट बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है।

(ञ) पठित निबंध में ‘सुंदर इमारत’ का आशय क्या है ?

उत्तर : पठित निबंध में सुनदर इमारत का आशय सुंदर समाज है।

(ट) बेनीपुरी जी का पूरा नाम क्या है ?

उत्तर: रामवृक्ष बेनीपुरी

2. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में)

(क) मनुष्य सत्य से क्यों भागता है ?

उत्तर : मनुष्य सत्य से भागता है क्योंकि सत्य कठारै होता है, भद्दा होता है। मनुष्य कठोरता और भद्देपन से मुख मोड़ता है। इसलिए सत्य से भी भागता है।

(ख) लेखक के अनुसार कौन-सी ईंट अधिक धन्य है ? [HSLC 2016]

उत्तर : लेखक के अनुसार नींव की ईंट अधिक धन्य है क्योंकि इमारत को पुख्ता करने के लिए वह जमीन से सात हाथ नीचे जाकर गड़ गई होती है। पूरी इमारत उसी पर खड़ी रहती है। उसे इमारत की पहली ईंट बनने का सौभाग्य मिला।

(ग) नींव की ईंट की क्या भूमिका होती है? [HSLC 2018]

उत्तर : इमारत को खड़ा रखने में नींव की ईंट की बहुत बड़ी भूमिका होती है। पूरी इमारत नींव की ईंट पर खड़ी रहती है। इमारत की मजबूती नींव की ईंट पर टिकी होती है। नींव की ईंट इमारत का आधार है। नींव की ईंट हिला दिए जाने से पूरी इमारत जमीन पर गिर पड़ती है।

(घ) कंगूरे की ईंट की भूमिका स्पष्ट करो।

उत्तर : कंगूरे की ईंट बरबस लोक-लोचनों को अपनी ओर आकृष्ट करती है। वह इमारत को सुंदरता देती है। कंगूरे की चमके देख कर ही सुंदरता देख कर ही लोग इमारत की सुंदरता का बखान करते हैं।

(ङ) शहादत का लाल चेहरा कौन-से लोग पहनते हैं और क्यों ?

उत्तर : शहादत का लाल सेहरा वे लोग पहनते हैं, जो अपना मूक बलिदान दे देते हैं। वे लोग इसलिए अपना मूक बलिदान दे देते हैं ताकि एक सुंदर और खुशहाल समाज का निर्माण हो सके। ये तपे-तपाए नि:स्वार्थी लोग होते हैं।

(च) लेखक के अनुसार ईसाई धर्म को किन लोगों ने अमर बनाया और कैसे ?

उत्तर : लेखक के अनुसार ईसाई धर्म को उन लोगों ने अमर बनाया, जिन्होंने उसके प्रचार के लिए अपने आप को उत्सर्ग कर दिया। इनमें से बहुत से लोगों को जिंदा जला दिए गए थे। बहुत से जंगलों के खाक छानते-छानते जंगली जानवरों के शिकार हो गए थे।

(छ) आज देश के नौजवानों के समक्ष चुनौती क्या है ? [HSLC 2016, 2020]

अथवा,

देश के नौजवानों के सामने आज क्या जुनौती है ? नींव की ईट लेख के आधार पर स्पष्ट करो। [HSLC 2017]

उत्तर : आज देश के नौजवानों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें सात हजार गाँवों का, असंख्य शहरों का नवनिर्माण करना है। हजारों-लाखों कल- कारखाने खड़े करने हैं। एक सुंदर और सुख समाज का निर्माण करना है। इसके लिए उन्हें नींव की ईंट बननी होगी।

3. संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में)

( क ) मनुष्य सुंदर इमारत के कंगूरे को देखा करते हैं पर उसकी नींव की ओर उनका ध्यान क्यों नहीं जाता ?

उत्तर : मनुष्य सुंदर इमारत के कंगूरे की ओर तो देखा करते हैं पर उसकी नींव की ओर उनका ध्यान नहीं जाता, इसके दो कारण हैं। एक तो यह कि लोग नींव की ईंट जमीन सात हाथ नीचे दबी रहती है। वह अंधकूप में पड़ी रहती हैं, जहाँ मनुष्य की नजर नहीं जाती है। दूसरा यह कि नींव की ईंट भद्दी होती है। कठोर होती है। भद्देपन से कठोरता से लोग घृणा करते हैं, जबकि कंगूरे की ईंट सुंदर होती है। लोग सुंदरता का गुणगान करते हैं।

(ख) लेखक ने कंगूरे के गीत गाने के बजाय नींव की गीत गाने का आह्वान क्यों किया है ?

उत्तर : लेखक ने कंगूरे के गीत गाने के बजाय नींव के गीत गाने का आह्वान करते हैं क्योंकि नींव ही असली चीज होती है। उसी पर पूरी इमारत टिकी रहती है। यह अनाम बलिदान है ताकि इमारत खड़ी रह सके। नींव की मजबूती और पुख्तेपन पर ही अस्ति नास्ति टिकी रहती है। मूक शहादत ईंट की हो चाहे मनुष्य की दोनों महान ही हैं।

(ग) लोग सामान्यतः कंगूरे की ईंट बनना तो पसंद करते हैं, परंतु नींव की ईंट बनना क्यों नहीं चाहते हैं?

उत्तर : लोग सामान्य कंगूरे की ईंट बनना तो पसंद करते हैं, लेकिन नींव की ईंट बनना पसंद नहीं करते हैं क्योंकि कि नींव की ईंट भद्दी होती है, लोग भद्देपन से भागते हैं। कंगूरे की ईंट सुंदर होती है, चमकीली होती है। लोग सुंदरता का, चमकीलेपन का गीत गाते हैं। इनकी ओर सभी का ध्यान जाता है, लोग इनका गुणगान करते हैं।

(घ) लेखक ईसाई धर्म को अमर बनाने का श्रेय किन्हें देना चाहते हैं और क्यों ?

उत्तर : लेखक ईसाई धर्म को अमर बनाने का श्रेय ईसा मसीह के सिवा उन धर्म प्रचारकों को देना चाहते हैं, जो इस धर्म के प्रचार के लिए जिंदा जला दिए गए। जिन्हें जंगलों में भटकना पड़ा। जिन्हें जंगली जानवरों का शिकार होना पड़ा। इस प्रकार से उनकी अनाम शहादत से ही ईसाई धर्म अमर बन सका।

(ङ) हमारा देश किनके बलिदानों के कारण आजाद हुआ ?

उत्तर : हमारा देश उन स्वतंत्रता सेनानियों के कारण आजाद हुआ, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना मूक बलिदान दे दिया। केवल इतिहास में स्थान पाने वाले शहीदों की शहादत से ही देश आजाद नहीं हुआ है बल्कि देश के कोने-कोने में जो आजादी के नाम पर अनाम शहीद हो गए, वस्तुतः उनकी शहादत से ही देश आजाद हुआ ।

(च) दधीचि मुनि ने किसलिए और किस प्रकार अपना बलिदान दिया था ?

उत्तर : अत्याचारी दानव वृत्रासुर से देवताओं की रक्षा के लिए इंद्र को विशेष प्रकार के अस्त्रों की आवश्यकता थी, जो दधीचि मुनि की रीढ़ की हड्डी से ही बन सकती थी। अतः इसीलिए दधीचि मुनि ने अपना बलिदान दे दिया। उन्हीं की रीढ़ की हड्डी से वज्र बनाया गया, जिससे वत्रासुर का वध किया गया था।

(छ) भारत के नव निर्माण के बारे में लेखक ने क्या कहा है ? [HSLC 2018]

उत्तर : भारत के नवनिर्माण के बारे में लेखक ने कहा है कि सात लाख गाँवों, हजारों शहरों, कल-कारखानों के नवनिर्माण के लिए आज ऐसे नौजवानों की जरूरत है, जिनमें कंगूरा बनने की कामना न हो। कलश बनने की जिनमें वासना न हो, जो नई प्रेरणा से अनुप्राणित हो। एक नई चेतना से अभीभूत हो। जो शाबाशियों से अलग हो, दलबंदियों से अलग हो।

(ज) ‘नींव की ईंट’ शीर्षक निबंध का संदेश क्या है? [HSLC 2015, 2019, 2022]

अथवा,

‘नींव की ईंट’ के सन्देश को अपने शब्दों में लिखो। [HSLC 2015]

उत्तर : नींव की ईंट शीर्षक निबंध का संदेश यह है कि आज भारत के नवनिर्माण के लिए नींव की ईंट बनने के लिए तैयार लोगों की जरूरत है। लेकिन विडंबना यह है कि आज कंगूरे की ईंट बनने की होड़ा-होड़ी मची है। नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो गई है। आज ऐसे नवयुवकों की जरूरत है, जो भारत के नवनिर्माण में नींव की ईंट बनकर खुद को खपा दें।

4. सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में ) :

(क) नींव की ईंट का प्रतिकार्थ स्पष्ट करो । [HSLC 2019, 2022]

उत्तर : नींव की ईंट का प्रतिकार्थक है- समाज का अनाम शहीद जो बिना किसी यश-लोभ के समाज के नव निर्माण हेतु आत्मबलिदान के लिए प्रस्तुत है। आज कंगूरे के ईंट बनना तो सभी चाहते हैं क्योंकि वह सुंदर होती है, उसमें चमक होती है। लोग सुंदरता का, चमक का गुणगान करते हैं। कंगूरे की ईंट बनने से लोगों को यश मिलता है। लेकिन नींव की ईंट अनाम शहीद हो जाता है। उसकी ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है। आज भारत का नव निर्माण करना है। इसके लिए कंगूरे की ईंट की नहीं, नींव की ईंट की जरूरत है। ऐसे नौजवानों की जरूरत है, जो नि:स्वार्थ भाव से नींव की ईंट बन कर इस काम के लिए अपने आप को खपा दें। ऐसे अनाम शहीदों के बिना भारत के गाँवों का, शहरों का, कल-कारखानों का निर्माण संभव नहीं है

(ख) कंगूरे की ईंट के प्रतीकार्थक पर सम्यक् प्रकाश डालो। [HSLC 2019]

उत्तर : कंगूरे की ईंट का प्रतीकार्थक है समाज का यश लोभी सेवक जो प्रसिद्धि, प्रशंसा अथवा अन्य किसी स्वार्थवश समाज का काम करना चाहता है। आजादी के बाद हमारे देश के लोगों में कंगूरे की ईंट बनने की लालसा बढ़ गई है। आज नींव की ईंट कोई नहीं बनना चाहता। कंगूरे की ईंट बनने की होड़ा-होड़ी मची हुई है। इसलिए कि कंगूरा सुंदर होता है। चमकीला होता है। यश वाला होता है। उसकी ओर सभी की नजर पड़ती है। लोग इसीलिए कंगूरे की ईंट बनना चाहते हैं ताकि उनका नाम हो, उन्हें यश मिले। उनका गुणगान सभी करें। कंगूरे की ईंट बनने वाले समाजसेवी अपने किसी न किसी स्वार्थ को पूरा करना चाहते हैं।

(ग) हाँ, शहादत और मौन-मूक! समाज की आधारशीला यही होती है- आशय बताओ। [HSLC 2015, 2020]

उत्तर : इस कथन का आशय यह है कि किसी भी समाज का नव निर्माण, विकास मूल शहादत के बिना नहीं होता है। शहादत मूल होती है। अनाम होती है। शहीद होने वाला चिल्ला-चिल्ला कर नहीं कहता कि वह शहीद होने जा रहा है। 1 वह तो किसी महान उद्देश्य के लिए चुपचाप खुद को शहीद कर देता है। शहीद होने से पहले सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, वटुकेश्वर दत्त ने कहाँ घोषणा की थी कि वे देश की स्वाधीनता के लिए शहीद हो जाएंगे।

5. सप्रसंग व्याख्या करो :

(क) “इस कठोरता से भागते हैं, भद्देपन से मुख मोड़ते हैं, इसीलिए सच से भी भागते हैं।”

उत्तर :

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के रामवृक्ष बेनीपुरीजी द्वारा रचित ‘नींव की ईंट’ शीर्षक पाठ से ली गई है।

सन्दर्भ : लेखक ने इसमें नींव की ईंट के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या : कंगूरे की ईंट की ओर तो सभी का ध्यान जाता है क्योंकि वह सुंदर होता है। चमकीला होता है। लोग सुंदरता का गीत गाते हैं। नींव की ईंट को कोई पसंद नहीं करता है क्योंकि वह भद्दा होता है। कठोर होता है। कठोरता से, भद्देपन से लोग दूर भागते हैं। प्रस्तुत पंक्ति इसी प्रसंग में कही गई है। प्रस्तुत पंक्ति में लेखक यह कहना चाहते हैं कि लोग कठोरता से, भद्देपन से दूर भागते हैं। सत्य भी कठोर होता है। इसी लिए सत्य से भी दूर भागते हैं। इमारत की नींव की ईंट भी भद्दी होती है, कठोर होती है। इसीलिए नींव की ईंट से लोग दूर भागते हैं। नींव की ईंट कोई नहीं बनना चाहता। लेकिन सत्य तो यह है कि नींव की ईंट पर ही इमारत टिकी होती है। वही सत्य होता है।

उपसंहारः अतः सत्य से हम कभी नहीं भाग सकते हैं।

(ख) ‘सुंदर सृष्टि सुंदर सृष्टि, हमेशा बलिदान खोजती है, बलिदान ईंट की हो या व्यक्ति की।”

उत्तर :

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के रामवृक्ष बेनीपुरीजी द्वारा रचित ‘नींव की ईंट’ शीर्षक पाठ से ली गई है।

सन्दर्भ: लेखक ने इसमें नींव की ईंट के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या : कोई भी सृष्टि ऐसे ही सुंदर नहीं हो जाती है। उसे सुंदर बनाने के लिए बनाने वाले को खुद का बलिदान देना पड़ता है। कोई भी इमारत सुंदर तभी बनती है, जब उसके नींव की ईंट मबजूत व सख्त होती है। प्रस्तुत पंक्ति इसी प्रसंग में कही गई है। उद्धृत पंक्ति में लेखक के कहने का आशय यह है कि बलिदान ईंट की हो या व्यक्ति की, दोनों ही महत्त्वपूर्ण होते हैं। दोनों ही अनाम और नि:स्वार्थ होते हैं। इमारत को मजबूती देने के लिए कंगूरे को चमक देने के लिए नींव की ईंट को अपना बलिदान देना पड़ता है। इसी प्रकार सुंदर, खुशहाल, उन्नत समाज के निर्माण के लिए व्यक्ति को बलिदान देना पड़ता है। निःस्वार्थ समाजसेवी समाज को सुंदर बनाने के लिए चुपचाप स्वयं को खपा देते हैं।

उपसंहारः अतएव उनकी शहादत अनाम होती है।

(ग) “अफसोस, कंगूरा बनने के लिए चारों तरफ होड़ा-होड़ी मची हुई है, नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है।”

उत्तर :

प्रसंगः प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के रामवृक्ष बेनीपुरीजी द्वारा रचित ‘नींव की ईंट’ शीर्ष पाठ से ली गई है।

सन्दर्भ : लेखक ने इसमें नींव की ईंट के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या: इमारत के कंगूरे की ओर सभी की नजर जाती है। क्योंकि वह सुंदर होता है। चमकीला होता है। कंगूरे की ईंट बनना सभी पसंद करते हैं। लेकिन नींव की ईंट बनना कोई नहीं चाहता है, क्योंकि वह भद्दा होता है। भद्देपन से लोग भागते हैं। प्रस्तुत पंक्ति इसी प्रसंग में कही गई है। पाठ से उद्धृत इस पंक्ति में लेखक के कहने का भाव यह है कि आजादी के पहले के लोग ईंट की पत्थर बनकर आजादी के आंदोलन में अनाम शहीद हो जाते थे। लेकिन आज जबकि भारत का नव निर्माण करना है तो ईंट की नींव कोई बनना नहीं चाहता। सभी कंगूरे की ईंट बनने के लिए होड़ लगाए हुए हैं। आज नि:स्वार्थ समाजसेवी न के बराबर है। कंगूरे की ईंट का अर्थ है यश लाभ से लोलुप लोग जो नाम, यश पाने के लिए या अपना किसी प्रकार का स्वार्थ सिद्ध करने के लिए समाज सेवा करना चाहते हैं।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

1. निम्नलिखित शब्दों में से अरबी-फारसी के शब्दों का चयन करो :

इमारत, नींव, दुनिया, शिवम, जमीन, कंगूरा, मनुहसीर, अस्तित्व, शहादत, कलश, आवरण, रोशनी, बलिदान, शासक, आजाद, अफसोस, शोहरत।

उत्तर : अरबी-फारसी के शब्द- इमारत, दुनिया, जमीन, मुनहसीर, शहादत, रोशनी, शासक, आजाद, अफसोस, शोहरत।

2. निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाओ :

चमकीली, कठोरता, बेतहाशा, भयानक, गिरजाघर, इतिहास।

उत्तर : चमकीली- आज उसने सोने की चमकीली अंगूठी पहन रखी है।

कठोरता- बच्चों के प्रति इतनी कठोरता अच्छी नहीं होती।

बेतहाशा- वह बेतहाशा दौड़ा जा रहा था।

भयानक- रात मैंने एक भयानक सपना देखा।

गिरजाघर- रविवार को गिरजाघर में प्रार्थना होती है।

इतिहास- मैं इतिहास की पुस्तक पढ़ रहा हूँ।

3. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करो :

(क) नहीं तो, हम इमारत की गीत नींव की गीत से प्रारंभ करते ।

उत्तर : नहीं तो, हम इमारत की गीत नींव के गीत से प्रारंभ करते।

(ख) ईसाई धर्म उन्हीं के प्रताप से फल-फूल रहे हैं ।

उत्तर : ईसाई धर्म उन्हीं के प्रताप से फल-फूल रहा है।

(ग) सदियों के बाद नए समाज की सृष्टि की ओर हम पहला कदम बढ़ाए हैं।

उत्तर : सदियों बाद नए समाज की सृष्टि की ओर हमने पहला कदम बढ़ाया है।

(घ) हमारे शरीर पर कई अंग होते हैं।

उत्तर : हमारे शरीर में कई अंग होते हैं।

(ङ) हम निम्नलिखित रूपनगर के निवासी प्रार्थना करते हैं ।

उत्तर : हम रूपनगर के निवासी निम्नलिखित प्रार्थना करते हैं।

(च) सब ताजमहल की सौंदर्यता पर मोहित होते हैं।

उत्तर : सब ताजमहल के सौंदर्य पर मोहित होते हैं।

(छ) गत रविवार को वह मुंबई जाएगा।

उत्तर : गत रविवार को वह मुंबई गया।

(ज) आप कृपया हमारे घर आने की कृपा करें।

उत्तर: आप हमारे घर आने की कृपा करें या आप कृपाया हमारे घर आएँ।

(झ) हमें अभी बहुत बातें सीखना है।

उत्तर : हमें अभी बहुत बातें सीखनी हैं।

(ञ) मुझे यह निबंध पढ़कर आनंद का आभास हुआ।

उत्तर : मुझे यह निबंध पढ़कर आनंद का अनुभव हुआ।

4. निम्नलिखित लोकोक्तियों के भाव पल्लवन करो

(क) अधजल गगरी छलकत जाय

उत्तर : इस लोकोक्ति का अर्थ यह है कि अधूरा ज्ञान वाला व्यक्ति अपने ज्ञान का ढिंढोरा खूब पीटता है। चाहे उसका ज्ञान अधूरा ही क्यों न हो, लेकिन वह अपने ज्ञान का वर्णन, खूब बढ़ा-चढ़ा कर करता है। आजकल ऐसे अपने मुँह मियाँ मिठ्ठ बनने वालों की कोई कमी नहीं है। बिरम्बना तो यह है कि भोले-भाले लोग ऐसे धोखेबाजों के झांसे में बहुत जल्द आ जाते हैं। लोग ऐसे व्यक्ति पर बड़ी सहजता से विश्वास कर लेते हैं और अपनी हानि खुद कर लेते हैं।

(ख) होनहार विरबान के होत चीकने पात।

उत्तर : कहावत है कि पूत के पैर पालने में ही दिखाई पड़ने लगते हैं। महान व्यक्ति की महानता के लक्षण बचपन से ही दिखाई पड़ने लगते हैं। जैसे कि गाँधी जी की सत्यवादिता के लक्षण उनके बचपन में ही दिखाई पड़ने लगे थे। शिक्षक ने जब उनको दूसरों की स्लेट देखकर लिखने का इशारा किया तब भी उन्होंने वैसा नहीं किया क्योंकि ऐसा करना उनके लिए असत्य और गलत था। ऐसे ही महान पुरुषों के बारे में कहा गया है- होनहार वीरवान के होत चीकने पात। यानी कि जो पेड़ बड़ा होकर विशाल होगा, अधिक छायादार होगा उसकी पहचान छोटी अवस्था में उसके पत्ते को देखकर ही हो जाता है।

(ग) अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।

उत्तर : समय बीत जाने के बाद, मौका हाथ से निकल जाने के बाद पछताने से कोई फायदा नहीं होता है। होशियार व्यक्ति वही होता है, जो समय रहते चेत जाता है। सावधान हो जाता है। काम को बिगड़ने नहीं देता है। जिस प्रकार फटे दूध से कभी खोवा नहीं बनता है, उसी प्रकार कोई एक काम जब बिगड़ जाता है, तब लाख कोशिश करके भी नहीं सुधरता है। इसीलिए तो कहा गया है अब पछताए हो क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

(घ) जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय।

उत्तर : कहा जाता है कि मारने वाले से बचाने वाले का हाथ बहुत बड़ा होता है। जीवन और मरण ऊपर वाले के हाथ में होता है। भगवान जिसे बचाना चाहे उसे कोई नहीं मार सकता है। हम ऐसी घटनाएँ प्रति दिन सुनते हैं कि हजारों फीट संकरे गड्डे में गिर कर भी बच्चे की जान बच जाती है। दुर्घटना में सब के सारे यात्री मर जाते हैं, पर एक बच जाता है। यह ईश्वर का चमत्कार नहीं है तो और क्या ? इसलिए तो कहा गया है- जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय। बाल न बाँका कर सके जो जग बैरी होय।।

5. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो अर्थ बताओ

अंबर, उत्तर, नव, पत्र, मित्र, वर्ण, हार, कल, कनक ।

उत्तर :

अंबर- कपड़ा, आकाश ।

काल- समय, खतरा

पत्र- पेड़ का पत्ता, चिट्ठी।

वर्ण- अक्षर, रंग।

कल- आने वाला समय, मशीन।

उत्तर- उत्तर-दिशा, प्रश्न का उत्तर ।

नव- नया, नवीन ।

मित्र- दोस्त, उपाधि मित्र।

हार- गले का हार, पराजय ।

कनक- सोना, धतुरा ।

6. निम्नलिखित शब्द-जोड़ो के अर्थ का अंतर बताओ :

अगम-दुर्गम, अपराध-पाप, अस्त्र-शस्त्र, अधि-व्याधि, दुख-खेद, स्त्री- पत्नी, आज्ञा-अनुमनि, अहंकार-गर्व ।

उत्तर :

अगम- जहाँ पहुँचा न जा सके।

दुर्गम- जहाँ कठिनाई से जाया जा सके।

अपराध- कानूनी नियमों का उल्लंघन।

पाप- नैतिक नियमों का उल्लंघन।

अस्व- हाथ से पकड़ कर चलाने वाला हथियार।

शस्त्र- हाथ से फेंक कर चलाने वाला हथियार।

अधि- मानसिक रोग।

व्याधि- शारीरिक रोग।

दुख- शारीरिक कष्ट।

खेद- मानसिक कष्ट ।

स्त्री- कोई भी महिला।

पत्नी- किसी की विवाहिता स्त्री।

आज्ञा- अपने से बड़ों का आदेश।

अनुमति- बराबर वालों का आदेश स्वीकृति ।

अहंकार- घमंड।

गर्व- गौरव ।

निष्कर्ष:

हमारा मानना ​​है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को विषयों की बेहतर समझ विकसित करने और उनकी परीक्षा के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेंगे।

हमें विश्वास है कि ये नोट्स शिक्षार्थियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने और उनके अकादमिक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करेंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो और मददगार लगा हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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